
Basil in Hindi: हिन्दू धर्म में तुलसी को पवित्र माना जाता है इसिलिये इसे Holy Basil या Sacred Basil कहा जाता है |
तुलसी का बॉटनिकल नेम (Botanical Name) है Ocimum sanctum L या Ocimum tenuiflorum L है |
Ocimum sanctum L या Ocimum tenuiflorum L इस Basil को आमतौर पर अंग्रेजी में Holy Basil या Sacred Basil के रूप में जाना जाता है और विभिन्न भारतीय भाषाओं में ज्यादा करके इसे तुलसी के नाम से जाना जाता है |
English (इंग्रजी) |
Basil, Holy Basil, Sacred Basil |
लैटिन (Latin) |
Ocimum Sanctum |
हिंदी (Hindi) |
तुलसी, वैष्णवी |
Sanskrut (संस्कृत) |
वृन्दा, सुगन्धा, अमृता |
मराठी (Marathi) |
तुळस, तुळशी |
तेलगु (Telgu) |
वृन्दा, गगेरा, कृष्णा तुलसी |
गुजराती (Gujarati) |
तुलस, तुलसी |
बंगाली (Bengali) |
तुलसी, कुरल |
Table of Contents
Basil in Hindi
Basil (तुलसी) के विविध प्रकार दुनिया भर में पाए जाते है | ऐसा माना जाता है कि भारत में Basil की उत्पत्ति हुई है | 5000 साल से भी ज्यादा समय से इसे उगाया जा रहा है |

कुछ Basil का खाने में उपयोग किया जाता है तो किसी का औषधी में | खाने में उपयोग में ली जाने वाली Basil को Thai basil या Sweet basil कहा जाता है |
खाने में इस्तेमाल की जानेवाली Thai basil या Sweet basil को भारत में ज्यादा उगाया नहीं जाता |
भारत में सभी जगह Holy Basil (तुलसी) उगाई जाती है और इसका औषधी के रूप में प्रयोग किया जाता है | इसके चमत्कारिक औषधी गुणों के कारण तुलसी को हिन्दू धर्म में विशेष स्थान दिया गया है |
ऋषि मुनियोने तुलसी के अलौकीक गुणों के कारण इसे भगवान विष्णु की पत्नी का स्थान दिया | इसे देवी का अवतार माना गया है | हर हिन्दू घर में इसकी पूजा की जाती है |
जिसके औषधी गुणों की किसी और से तुलना नहीं हो सकती वो कहलाती है ‘तुलसी’ |तुलसी में दुसरे जड़ी-बूटी की तुलना में सबसे ज्यादा औषधी गुण होते है |
तुलसी के पत्तो में कैलोरीज बहोत कम होती है | 100 ग्राम पत्तों में 22 कैलोरी होती है |
तुलसी का पौधा 24 घन्टे ऑक्सीजन देने में सक्षम होता है |
तुलसी के पौधे के आसपास रोग जीवाणु जीवित नहीं रह सकते इसीलिए घर में या आंगन में यह पौधा जरूर लगाना चाहिए |
तुलसी के औषधी गुणधर्मो के कारण इसकी माला को कंठ में धारण किया जाता है | इसे घर आँगन में लगाया जाता है |
तुलसी के प्रकार
पुरे विश्व में तुलसी की लगभग 60 से भी अधिक प्रजातिया है | पर भारत में मिलने वाली तुलसी की प्रजातिया सबसे ज्यादा ख़ास मानी जाती है उनके अद्वितीय औषधी गुणों के कारण |
भारत में वैसे तो तुलसी की विविध प्रजातिया है, पर प्रमुख तौर पर जो तुलसी की प्रजातिया यहा पायी जाती है वे कुछ इस प्रकार से है |

1) कृष्णा तुलसी या श्यामा तुलसी: इसका डंठल (Stem) और पत्तियां बैंगनीय रंग की होती है |इसकी मंजीरी भी बैंगनीय रंग की होती है |
सारे तुलसियों में ‘श्यामा तुलसी’ को सर्वश्रेष्ट माना जाता है क्यों की इसमें सबसे अधिक औषधीय गुण पाए जाते है |
‘श्यामा तुलसी’ को ‘कृष्णा तुलसी’ के नाम से भी जाना जाता है |

2) रामा तुलसी या श्री तुलसी: ‘रामा तूलसी’ के पत्तें हरे रंग के होते है | इसका डंठल भी (Stem) हरे रंग का होता है | इसकी मंजीरी भी हरे रंग की होती है |
‘रामा तुलसी’ का पूजा-पाठ में उपयोग किया जाता है |
‘रामा तुलसी’ को ‘श्री तुलसी’ के नाम से भी जाना जाता है |
‘रामा तुलसी’ की प्रकृती ठन्डी होती है | गर्मी में आप इसका सेवन कर सकते है |

3) श्वेत तुलसी, सफ़ेद तुलसी या विष्णु तुलसी: इस तुलसी के पत्ते हरे रंग के होते पर इसके जो पुष्प निकल आते है वह सफ़ेद रंग के होते है |
सूर्योदय के समय सूर्य को जो जल अर्पित किया जाता है वह श्वेत तुलसी पे गिराया जाता है |
मंदिरों में प्रसाद के रूप में दिए जाने वाले चरनामृत में श्वेत तुलसी के पत्तों को छोटे टुकड़ों में तोड़कर डालने की परम्परा है |
श्वेत तुलसी के पत्तों को चरनामृत में डालने के बाद ही चरणामृत को पीने का प्रघात है |
‘श्वेत तुलसी’ को ‘विष्णु तुलसी या सफ़ेद तुलसी’ के नाम से भी जाना जाता है |

4) वन तुलसी या बबुई तुलसी – ‘वन तुलसी’ को बर्बरी तुलसी (Tulsi Barbari), बबुई तुलसी, गुलाल तुलसी, काली तुलसी, वन तुलसी, जंगली तुलसी, सबजा के नाम से भी जाना जाता है |
वन तुलसी के जो बीज होते है उसे सब्जा कहा जाता है |
इसकी गंध काफी तेज होती है इसलिए कोइ किट-पतंगा, मच्छर इसके पास नहीं आता है |
यदी मधु मक्खी डंख मारती है तो वन तुलसी के पत्तों का पेस्ट उस जगह पर लगाने से आराम मिलता है |
इसके पत्तें थोड़े छोटे और आगे नुकीले होते हैं | यह आकार में थोड़ी बड़ी हो जाती है |

5) नींबू तुलसी: इस तुलसी के पत्तों की सुगंध निम्बू जैसी होती है इसलिए इसे नींबू तुलसी कहा जाता है |
इस तुलसी के पत्तें चाय में डाल सकते है, इसको सलाद में डाल सकते है | निम्बू तुलसी में औषधी गुण भी मौजूद होते है |

6) मरूआ तुलसी:
इसकी मजिरी बैंगनी रंग की होती है और पत्तियाँ चमकदार गहरे हरे रंग की | इसके पत्तों की काफी अच्छी खुशबु होती हैं |
इसकी पत्तियोंकी चटनी बनाई जाती है | मरुआ तुलसी में औषधी गुणधर्म भी होते है |

7) कपूर तुलसी:
इस तुलसी की पत्तियां हलके हरे रंग की होती है | कपूर तुलसी में काफी लम्बी हरे रंग की मजिरियां होती है सफ़ेद पुष्प के साथ |
कपूर तुलसी में भी औषधी गुणधर्म होते है |

8) दालचीनी तुलसी (Cinnamon Basil):
इस तुलसी में Methyl Cinnamate होता है जिसके वजह इसकी पत्तियों का स्वाद दालचीनी जैसे होता है |
दालचीनी तुलसी में कुछ हद तक संकीर्ण, थोड़ी सी गहरे हरे रंग की चमकदार पत्तिया होती है | इस तुलसी के मंजिरी में छोटे गुलाबी फूल लगते है | इसकी डंठल गहरे बैंगनी रंग की होती हैं |
Cinnamon Basil को Mexican spice basil के नाम से भी जाना जाता है |

9) मीठी तुलसी (Stevia Basil):
इसके पुष्प छोटे से सफ़ेद रंग के होते है | इसके पत्तें लम्बे और पतले से होते है | इस तुलसी के पत्तें खाने में मीठे लगते है इसलिए इसे मीठी तुलसी कहा जाता है |
इसको Stevia Basil नाम से भी जाना जाता है | इसकी बड़ी मात्रा में खेती की जाती है | इसके पत्तों में औषधी गुणधर्म होते है |

10) लौंग तुलसी (Clove Basil):
इस तुलसी के पत्तें अन्य तुलसी के मुकाबले में थोड़े बड़े होते है | इन पत्तों में से लौंग जैसी खुशबू आती है इसलिए इसे लौंग तुलसी कहते है |
तुलसी के चमत्कारी फायदे
तुलसी में सारी जडी-बूटीयों के मुकाबले में सबसे ज्यादा औषधी गुण होते है | इसलिए उसे आयुर्वेद में सारे औषधी पौधों की रानी का दर्जा दिया गया है |
भारत में शाम तुलसी, राम तुलसी और वन तुलसी का औषधी रूप में प्रयोग किया जाता है| पर इन सबमें ‘शाम तुलसी यानी कृष्ण तुलसी’ को औषधी गुणों से सर्वश्रेष्ट माना गया है |
निचे दिए गए सारे समस्याओंके उपाय में ‘शाम तुलसी यानी कृष्ण तुलसी‘ का ही उपयोग किया जाता है |
समस्या: कान का दर्द
उपाय: जब कान में दर्द हो तो तुलसी के पत्तों का रस निकालकर इसकी 4-4 बूंदे कान में डालने से कान के दर्द की परेशानी दूर होने में मदद मिलती है |
दूसरा उपाय:
50 ग्राम तिल के तेल में 20-25 तुलसी की पतियाँ डालकर उस तेल को धीमी आंच पर पकाए | ठंडा हो जाने पर उसको छानकर रख ले | इस ठन्डे तेल की बूंदे कान में डालनेसे कान का दर्द एवम कान की अन्य परेशानी में आराम मिलता है |
समस्या: जिनको भूख कम लगती है
उपाय: जिनको अजीर्ण की शिकायत है व् भूख कम लगती है वे भूख बढ़ाने के लिए और अजीर्ण की शिकायत दूर करने के लिए अदरक, तुलसी के पत्तें, कालीमिर्च और मिर्च में नमक डालकर उसकी चटनी बनाये | इस चटनी को भोजन खाते समय उसके साथ थोड़ा-थोड़ा सेवन करें इससे भूख बढ़ेगी और पेट की अन्य समस्याये भी दूर हो जायेगी |
इस चटनी में तुलसी की पत्तियां थोड़ी मात्रा में ही डालनी चाहियें |
समस्या: जब उल्टी होने को हो
उपाय: तुलसी के 4-5 पत्तिया तोड़कर उसका रस निकाल ले | उस तुलसी के रस में थोडा अदरक का रस और थोड़ा शहद मिला ले और इसको चाट ले |
यह उपाय करने से जी मचलाने की परेशानी दूर होगी और उल्टी भी नहीं होगी |
समस्या: स्मरण शक्ती बढाने के लिए
उपाय: तुलसी की 4-5 पत्तियों को पीसकर उसमे शहद मिला ले | रोज सुबह इसका खाली पेट सेवन करने इस से स्मरण शक्ती तेज होती है |
समस्या: सर में जूएँ पड़ना
उपाय: जिनकी सर में जूएँ पड गयी है वे अगर तुलसी के पत्तों का रस निकालकर बालों के जड़ों में लगाते है तो इससे जुएँ निकल जाती है और बालों की जड़ें भी मजबूत होती है |
समस्या: अस्थमा बीमारी की समस्या में
उपाय: मुलेठी, गुलबनफ्सा और तुलसी के पत्तों का काढा बनाकर सुबह व् शाम पीजिये | इससे अस्थमा और श्वास रोग की बीमारी में जल्दी आराम मिल जाता है |
अस्थमा रोग की बीमारी में तुलसी बहुत लाभकारी साबित होती है |
समस्या: खांसी व कफ की परेशानी
उपाय: छोटे बच्चों में अगर खांसी है, कफ है तो ऐसे में तुलसी के पत्तों का 1-2 बूँद रस लीजिए और इसमें थोडासा शहद मिलाकर बच्चे को चटायें इससे खांसी और कफ की परेशानी दूर होने में मदद होगी |
अगर बड़े लोगों को बहुर खांसी व कफ की परेशानी है तो तुलसी के पत्तों का काढा बनाकर पीनेसे आराम मिलता है |
किसी भी तरह के सर्दी जुकाम, एलर्जी से तुलसी का रस आराम देता है |
समस्या: सर्दी जुकाम निमोनिया में
उपाय: जब आदमी को निमोनिया होता है तो उसे बहुत सर्दी-जुकाम-कफ होता है | ऐसे में मंजिरी सहित तुलसी के 50 ग्राम पत्ते तोड़ ले और इसको कूट लीजिये या पिस लीजिये |
25 ग्राम अदरक, 15 ग्राम कालीमिर्च और १० ग्राम इलायची को कूटकर, मंजिरी सहित तुलसी के 50 ग्राम कूटे हुए पत्ते को आधा किलो पानी में उबाल ले | जब पानी 200 ग्राम बचे तो उसको छानकर उसमें थोड़ी चीनी मिलाकर चाचणी बना ले |
इस काढ़े को आप सुबह शाम 2-2 चम्मच सेवन करें | इससे सर्दी-जुकाम-कफ निमोनिया में आराम मिलेगा |
यह काढ़ा आप बच्चों को भी दे सकते है |
समस्या: दांत दर्द
उपाय: दांत का दर्द बड़ा असहनीय होता है | दांत के दर्द की परेशानी में तुलसी के पत्तें व कालीमिर्च को पीसकर इसमें सेंधा नमक मिलाले |
रूई के फाहें में यह मिश्रण लपेटकर दर्द वालें दांत में रख लीजिये | मुंह में जो पानी जमा होगा उसे थूंक दीजिये | इससे दर्द में आराम मिलेगा |
समस्या: मुहं की दुर्गंधी के लिए
उपाय: तुलसी के 3-4 पत्तों को कुचलकर पानी में उबालिए | उसमे थोड़ा सेंधा नमक, 3 से 4 काली मिर्च व 2-3 लौंग कुचलकर डालिए |
इस पानी से गरारे करने से गले की खराश दूर हो जाती है |
इस पानी से कुल्ले करने से मूंह की दुर्गन्ध और संक्रमण (infection) दूर हो जाता है | कुछ दिन आप इसका प्रयोग करे आपको लाभ मिल जाएगा |
समस्या: घाव की परेशानी में
उपाय: अगर आपको किसी भी प्रकार का घाव शरीर में है और कुछ भी ना मिले तो, तुलसी के पत्तों को पानी में उबाल लीजिये | यह तुलसी वाला पानी जब ठंडा हो जाए तो इससे घाव को धोयें |
इस तुलसी के पानी से घाव जल्दी सुख जाता है |
समस्या: दाद खाज खुजली
उपाय: जिनको दाद खाज खुजली की परेशानी है वे 4 भाग निम्बू के रस में 1 भाग तुलसी के पत्तों का रस अच्छी तरह से मिला ले | जहाँ पर दाद खाज खुजली है वहापर इस मिश्रण को लगाये |
इससे दाद खाज खुजली की समस्या दूर होगी |
समस्या: कुष्ट रोग
उपाय: कुष्ट रोग और त्वचा रोग होने के प्रमुख कारण माने जाते है शुद्ध आहार न मिलना, दूषित जल और मिलावट वाले सौंदर्य प्रसाधन |
तुलसी के 5 -7 पत्तीयाँ व 2 -4 पत्तियां को पीसकर हररोज सुबह इसका सेवन करे | इससे त्वचा और कुष्ट संबंधी बीमारी में लाभ होता है |
समस्या: गला बैठ जाना
उपाय: गला बैठ गया है और बोलने में परेशानी हो रही है ऐसे में आप तुलसी की 2-4 पत्तियाँ, थोडी मिश्री व एक काली मिर्च का दाना लेकर मुह में रखकर चूसते रहै और इसका पानी निगलते रहे |
यह उपाय करने से आपको बैठा गला और बोलने में होने वाली परेशानी की शिकायत में लाभ मिलेगा |
समस्या: Migrane, सर दर्द
उपाय: सरदर्द व माईग्रेन की बीमारी में तुलसी की पत्तियों का रस निकालकर उसकी 4 -4 बूंदे नाक में डालें | इससे सरदर्द में आराम मिलेगा |
Boost immunity (प्रतिरक्षा में वृद्धि)
तुलसी Immunity booster होती है | Immunity booster मतलब शरीर की रोगप्रतिकारक शक्ती बढ़ने वाली होती है क्यों की इसमें Vitamin C और Zinc होता है |
तुलसी में कुछ ऐसी Anti Bacterial (जीवाणुरोधी), Anti fungal (फंगसरोधी), Anti Viral (वाइरसरोधी) गुणधर्म होते है जो कोइ भी बीमारी को रोकने के लिए काफी प्रभावशाली होते है |
ये माना जाता है तुलसी के पत्ते का सेवन करने से हमारे Red Blood Cell (लाल रक्त कोशिकाएं) जो रोगाणु से लड़ते है वे काफी क्रियाशील हो जाते है |
तुलसी में कुछ ऐसी केमिकल होते है जो हमारे दिमाग (Brain) में जाकर Neurotransmitter, Dopamine और Serotonnin को बढाते है | ये हमारे तनाव को कम करता है और ब्लड प्रेशर को भी कम करता है |
बुखार, दर्द, Allergy, खांसी, जुकाम, Chest Infection कम करने के लिए तुलसी का उपयोग होता है |
तुलसी के बिज के फायदे
समस्या: शाररीक कमजोरी में
उपाय: जिनको शरारीक कमजोरी है वे 100 ग्राम तुलसी के बीज और आधा किलो मिश्री का पाउडर बनाकर रखले | हररोज सुबह शाम 1 -1 चम्मच इस पाउडर का दूध के साथ सेवन करे |
यह तुलसी बीज और मिश्री का पाउडर बड़ा पौष्टिक होता है | इससे शारीरीक कमजोरी दूर हो जाती है |
समस्या: नपुसंकता, बांझपन, नामर्दी व संतानहीनता
उपाय: 200 ग्राम तुलसी के बिज और 500 ग्राम मिश्री को पीसकर रख लीजिये | सुबह और शाम देसी गाय के दूध के साथ इस का थोड़ा थोडा सेवन करे | देसी गाय का दूध न मिले तो दुसरा दूध भी चलेगा |
नपुसंकता, बांझपन, नामर्दी व संतानहीनता में इससे जरूर लाभ मिलेगा |
तुलसी के नुकसान
तुलसी की पत्तियों को कभी चबाना नही चाहिए |
तुलसी की पत्तियां में नैसर्गीक रूप से पारा (Mercury) होता है | तुलसी की पत्तिया ज्यादा चबाने से यह पारा दाँतों में लगकर दांत ख़राब हो सकते है | दांतों में छेद (Cavity) हो सकता है |
गर्भवती महिलायें और बच्चों को दूध पिलाती महिलाओं ने तुलसी का सेवन नही करना चाहिए | इस के सेवन से उनमे कभी-कभी थाइरोइड उत्पन्न होने की संभावना रहती है |
तुलसी सूखने के कारण
आमतौर पर तुलसी के पौधे की आयु 4-5 साल होती है | पर सर्दीयों के दिनों में यह पौधा अपने आप ही सुख जाता है और जल्दी ही मर जाता है |
तुलसी उष्णकटिबंधीय और गर्म क्षेत्रों में बढ़ने वाला पौधा है | यह पौधा ठण्ड का मौसम सह नहीं पाता है और इसीलिए सर्दियों के दिनों में तुलसी का पौधा सुख जाता है |
तुलसी के पौधे को ठण्ड से बचने के उपाय:
सर्दियों के दिनों में जहां पर ओस पडती है वहापर तुलसी को मत रखिये | ओंस तुलसी पर गिरने से यह सुख जाती है | हो सके तो सर्दी के दिनों में तुलसी के पौधे के ऊपर छाया करदो, इससे उसका सर्दियों की औंस से रक्षण होगा |
ठण्ड के दिनों में तुलसी के पौधे को 5-6 घंटा गर्म जगह पर रखे जिससे उसका ठण्ड से बचाव हो सके |
तुलसी को ज्यादा पानी की जरूरत नही होती है | उसकी मट्टी जब सुखी जैसी दिखने लगे तब ही उसको पाणी दीजिये |
ज्यादा पानी की वजहसे भी तुलसी के पत्ते गिर जाते है |
तुलसी को ज्यादा दिन जीवित रखने के लिए उसके मंजीरी को सब जगहसे तोड़ते रहिये | इन पुष्पों को तोड़ने से तुलसी बहुत दिनों तक हरी भरी रहती है |
तुलसी का बॉटनिकल नेम
विविध तुलसी के वानस्पतिक नाम (Botanical Name) उनके नाम सहित कुछ इस प्रकार से है |
पवित्र तुलसी (Holy Basil) के Botanical Name
रामा तुलसी | Ocimum Sanctum |
कृष्णा तुलसी | Ocimum Tenuiflorum |
अमृता तुलसी | Ocimum Tenuiflorum |
वन तुलसी | Ocimum Gratissum |
निचे दी गयी Basil (तुलसी) का कई प्रकार के लोकप्रिय इटालियन और थाई व्यंजनों में उपयोग किया जाता है |
Sweet Basil | Ocimum Basilicum |
Thai Basil | Ocimum Thyrsiflora |
Lemon Basil | Ocimum Citriodorum |
American Basil | Ocimum Americanum |
Vietnamese Basil | Ocimum Cinnamon |
Purple Basil | Ocimum Basilicum |
तुलसी के बारेंमें लोगों के प्रश्न
तुलसी के बारें में लोगों के कुछ सवाल होते है उन सवालों के जवाब कुछ इस प्रकार से है |
तुलसी के पौधे की उम्र कितनी होती है?
आमतौर पर तुलसी के पौधे की आयु 4-5 साल होती है | पर सर्दीयों के दिनों में ठण्ड की वजह से यह पौधा अपने आप ही सुख जाता है और जल्दी ही मर जाता है |
तुलसी क्या काम करती है?
बुखार, दर्द, Allergy, खांसी, जुकाम, Chest Infection कम करने के लिए तुलसी का उपयोग होता है |
तुलसी वायुप्रदुषण कम करने का काम करती है | क्यों की तुलसी ऐसा अकेला पौधा है जो 24 घंटे वातावरण में ऑक्सीजन छोड़ता है |
तुलसी के पत्ते चबाने से क्या होता है?
तुलसी की पत्तियों में नैसर्गीक रूप से पारा (Mercury) होता है | तुलसी की पत्तिया ज्यादा चबाने से यह पारा दाँतों में लगकर दांत ख़राब हो सकते है |
तुलसी के पत्ता खाने से क्या होता है?
तुलसी के पत्ते का सेवन करने से हमारे Red Blood Cell (लाल रक्त कोशिकाएं) जो रोगाणु से लड़ते है वे काफी क्रियाशील हो जाते है |
तुलसी के बीज खाने के क्या फायदे हैं?
नपुसंकता, बांझपन, नामर्दी, संतानहीनता व शाररीक कमजोरी की समस्या में तुलसी के बिज खाने से फायदा होता है |
तुलसी के बीज का उपयोग कैसे करे?
जिनको शरारीक कमजोरी है वे 100 ग्राम तुलसी के बीज और आधा किलो मिश्री का पाउडर बनाकर रखले | हररोज सुबह शाम 1 -1 चम्मच इस पाउडर का दूध के साथ सेवन करे |
नपुसंकता, बांझपन, नामर्दी, संतानहीनता में 200 ग्राम तुलसी के बिज और 500 ग्राम मिश्री को पीसकर रख लीजिये | सुबह और शाम देसी गाय के दूध के साथ इस का थोड़ा थोडा सेवन करे |
तुलसी के बीज और मिश्री खाने से क्या होता है?
नपुसंकता, बांझपन, नामर्दी, संतानहीनता व शाररीक कमजोरी की समस्या में तूलसी के बीज और मिश्री खाने से फायदा होता है |