
Elephant in Hindi : जनमानस में हाथी इस जानवर के बारे में काफी कुतूहल और आकर्षण होता है | इसका कारण है इसका विशाल देह, जमीन को छूती हुई इसकी लम्बी नाक जिसे सूंड कहा जाता है, इसके बड़े कान और इसके बडेसे लम्बे सामने वाले दांत जिसे गजदंत कहां जाता है |
थोडासा अजीबसा दिखने वाला यह जानवर काफी शक्तिशाली और बुद्धिमान होता है | फिर भी मनुष्य इस पर काबू पा लेता है और इसके शक्ती का उपयोग करके उससे अनेको काम करवा लेता है |
हाथी इस जानवर को हम अच्छी तरह से पहचानते है फिर भी इसके बारे में कुछ ऐसी बातें है जिसकी बहुत से लोगों को जानकारी नही होती है |

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Elephant in Hindi
हिंदी में हाथी को गज, गजराज और हस्ती नाम से भी जाना जाता है |
हाथी यह जमीन पर पाया जानेवाला सबसे शक्तिशाली और बडे आकार का सस्तन प्राणी है | नर हाथी की ऊँचाई उसके खांदेतक औसतन 10 फीट और वजन लगभग 8000 किलो के आसपास होता है | मादा हाथी की ऊँचाई और वजन नर हाथी के मुकाबले में कम होता है |
हाथी शाकाहारी पशु हैं | घास, पेड़ों के पत्तिया, फल, छाल, उनका प्रमुख आहार है | यह एक जगह रुकने वाला पशु नही है | भोजन और पाणी की तलाश में जंगल में यह दूर दूर तक भ्रमण करता है |
इस भीमकाय जानवर को एक दिन में लगभग 100 किलो तक भोजन और 189 लीटर पाणी तक की आवश्यकता होती है | एक वयस्क हाथी एक बार में 10 लीटर (3 gallon) तक पाणी पी सकता है |
एक हाथी का औसतन जीवनकाल 50 से 70 वर्ष तक होता है | 70 साल से भी ज्यादा उम्र तक हाथी के जीवित रहने के प्रमाण पाए जाते है | देखा जाये तो हाथी और मनुष्य का जीवनकाल लगभग एक समान ही होता है |
हाथी की शरीर संरचना

ऊनी मैमथ (Woolly Mammoth-वुली मैमथ) हाथियों के पूर्वज थे। वे ठंडी जलवायु में रहते थे और उनके कान छोटे थे | ठण्ड से बचने के लीये उनका शरीर पूरी तरह से बालों से ढका हूँआ करता था | ऊनी मैमथ विशालकाय हूआ करते थे |
लेकिन आज के हाथी गर्म क्षेत्रों में रहते हैं और पाए जाते है इसलिए वह उनके पूर्वजों से थोड़े अलग दिखते है | ना ही उनका शरीर बालों से ढका होता है और ना ही उनके कान छोटे होते है |
हाथी आमतौर पर (grey) धूसर, धुमैल रंग के होते है | भारी भरकम शरीर वाले हाथीयों की ऊँचाई उनके खंदे तक औसतन 10 फीट तक होती है |
हाथी के कान धरती पर पाए जाने वाले जानवारों में सबसे बड़े होते है | उनकी लम्बी सूंड उनकी नाक है | हाथी की जितनी लम्बी नाक धरती पर किसी भी जानवर की नहीं है |
हाथी के आगेवाले दांत जानवरों में सबसे लम्बे है जिन्हें गजदंत, हाथीदांत या हस्तीदंत कहा जाता है | उनके चारों पैर किसी खम्बे की तरह गोल और मजबूत होते है | उनकी आँखें उनके बड़े शरीर के मुकाबले में थोड़ीसी छोटी होती है |
एक हाथी कि त्वचा 2.5 सेंटीमीटर तक मोटी होती है | इनकी मोटी त्वचा के कारण इनका शरीर कठोर होता है | सिर्फ इनके मुंह और कान के भीतर की त्वचा काफ़ी पतली होती है |
जन्म के साथ हाथी का बच्चा लगभग १०० किलो का होता है | हथनी का गर्भधारण कालावधी 22 महीने का होता है |
अफ़्रीकी और एशियाई हाथी
आज दुनिया में हाथी की सिर्फ दो विशिष्ट प्रजातियाँ बची हैं | अफ्रीकी और एशियाई हाथी | दोनों प्रकार के हाथी केवल गर्म क्षेत्रों में रहते हैं और पाए जाते है |
अफ्रीकी हाथी का शास्त्रिय नाम Loxodonta (लोक्सोदोनटा) और एशियाई हाथी का शास्त्रिय नाम Elephas maximus (एलेफास मक्सिमस) है |
हाथी की यह दोनों प्रजातीयां एक दूसरेसे भिन्न है और इनमे कुछ शाररिक भिन्नताएं भी है |
अफ्रीकी हाथी
Elephant in Hindi :

अफ़्रीकी हाथी एशियाई हाथी के मुकाबले में ज्यादा लम्बे होते है | इनका वजन भी उनसे ज्यादा होता है |
अफ्रीका में एशियासे ज्यादा तापमान होता है | हाथी के कान उनके शरीर को ठंडा रखने का काम करते है | अफ्रीकी हाथीयों के कान बड़े होते है जो बेहद गर्म तापमान में उनके शरीर को ठण्डा रखने काम करते है |
अफ़्रीकी हाथियों के प्रत्येक पिछले पैर पर तीन नाखून और प्रत्येक सामने के पैर पर चार नाखून होते हैं | इन हाथियों के पैर एशियाई हाथी के मुकाबले में ज्यादा लम्बे होते है |
अफ़्रीकी हाथी में नर और मादा दोनों के हाथीदांत होते हैं और यह एशियाई हाथी के मुकाबले में ज्यादा लम्बे होते है | इन हाथियों के त्वचा में बाल भी कम होते हैं।
अफ़्रीकी हाथि ज्यादातर जमीन पर लेटना पसंद नहीं करते | इनको लेटे हुए तभी देखा जाता है जब वे बीमार या घायल होते है | इनके पैरों की बनावट ही ऐसे होती है जिससे यह खड़े रहने पर कभी भी थकते नहीं है |
एशियाई हाथी
एशियाई हाथी अफ़्रीकी हाथी के मुकाबले में लम्बाई में कम होते है | इनका वजन भी उनसे कम होता है | इनकी शरीर की त्वचा पर अफ्रीकी हाथी से अधिक बाल होते हैं |
इनमे सिर्फ नर हाथी में ही हाथीदांत होते हैं, मादा में नहीं | एशियाई हाथी के हाथीदांत अफ़्रीकी हाथी के मुकाबले में लम्बाई में कम होते है |
एशियाई हाथी का शरीर गोल मटोल और भारी भरकम होता है | शरीर की तुलना में इसके पैर कम लबें होते है | अफ़्रीकी हाथि ज्यादातर जमीन पर लेटना पसंद नहीं करते है पर इसके विपरीत एशियाई हाथी अक्सर जमीन पर लेटना पसन्द करते हैं |
एशियाई हाथी अधिकतर छायादार जंगल में रहते हैं और जिसकी वजह से वो अत्यधिक तापमान के संपर्क में नहीं आते हैं |
हाथी की चमत्कारी सूंड
Elephant in Hindi :
हाथी की सूंड दरअसल उसके ऊपर का होंठ और नाक का बढ़ा हुआ हिस्सा है | धरती पर पाए जाने वाले जानवरों में सबसे बड़ी सूँड सिर्फ हाथी की ही होती है |
हाथी के सूंड की संरचना जीभ की तरह लचीली होती है और इसकी वजह से यह हाथ की तरह कार्य कर सकती है | हाथी की सूंड वास्तव में एक नाक हैं |
हाथी के सूंड में 40,000 मांस पेशियाँ होती है | सूंड का वजन लगभग 139 किलो होता है | इनके सूंड में एक भी हड्डी नही होती | इसलिए हाथी इसे किसी भी दिशा में आसानीसे घूमा सकता है |
जिस तरह मनुष्य अपने हाथों का उपयोग करके रोज के काम करता है उसी प्रकार से हाथी अपने सूंड का उपयोंग करता है | देखा जाये तो हाथी की सूंड दरअसल उसके लिए हाथ का काम करती है |
अपने सूंड का उपयोग करके वह भोजन करता है, पानी पीता है | जंगल में रास्ता बनाते वक्त यह सूंड काम में आती है | अपने शत्रु संग लड़ते वक्त वो सूंड का उपयोग करता है |
हाथी की सूंड बेहद ताकतवर होती है यह आसानी से किसी भी पेड़ के तने को उखाड सकती है | किसी भी वजनदार वस्तु को अपनी सूंड में हाथी आसानीसे उठा लेता है |
ताकतवर होने के साथ साथ सूंड बेहद संवेदनशील होती है इसके कारण हाथी आसानीसे छोटेसे घास का एक तिनका भी उठा लेता है |
हाथी एक बार में अपनी सूंड से 10 लीटर तक पाणी खींच सकता है | हाथी अपने सूंड में पाणी भरके बाद में उसे अपने मुहं में डालके पीता है |
नहाने के लिए अपनी सूंड में हाथी पाणी खिंच लेता है और बाद में अपने शरीर पर उडेलता है |
हाथियों के कान बड़े क्यों होते हैं ?
Elephant in Hindi :
धरती पर पाए जाने वाले जीवों में हाथी के कान सबसे बडे होते है | हाथियों के कान हाथी के शरीर के आकार का एक-छठा (1/6) होता है मतलब उसके शरीर के आकार का 16.66% होता है |
हाथी आमतौर पर बहुत गर्म शुष्क जलवायु में रहते हैं | वे बड़े जानवर हैं और शरीरमें बहुत गर्मी पैदा करते हैं| हाथियों के शरीर में पसीने की ग्रंथी नहीं होती है | पसीने की ग्रंथी, गर्मी में शरीर से पसीना बहाती है और शरीर को ठण्डक पहुँचाती है |
हाथियों में पसीने की ग्रंथियां नहीं होती हैं इसीलिए शरीर से अतिरिक्त गर्मी को बाहर निकालने के लिए बड़े कान होते हैं | हाथी अपने कान का उपयोग अपने शरीर के तापमान को नियंत्रित करने के लिए करता है |
हाथी के कान में रक्त वाहिकाएं होती हैं | जब हाथी के शरीर में रक्त का तापमान आसपास के तापमान से ज्यादा हो जाता है, तब यह अतिरिक्त तापमान कानों की रक्त वाहिकाओं द्वारा रिहा किया जाता है |
इसके अलावा, हाथी अपने कानों का उपयोग विशाल पंखे की तरह करते हैं ताकि हवा का निर्माण किया जा सके| जैसे ही हाथी अपने कानों को फड़फड़ाता है, वे तेजी से ठंडा होने के लिए एक हल्की हवा बनाते हैं | जिससे उनके शरीर को ठंडक मिलती है |
हाथी के कान उनके शरीर को पांच डिग्री सेल्सियस तक ठंडा कर सकते हैं | उनका कान किसी गाडी के रेडिएटर की तरह होता है | जिस प्रकार से रेडिएटर कार के गरम इंजन को ठंडा रखता है उसी तरह से हाथी के कान उसके गर्म शरीर को ठंडा रखने का काम करते है |
ऊनी मैमथ हाथियों के पूर्वज थे | वे ठंडी जलवायु में रहते थे और उनके कान छोटे थे | लेकिन आज हाथी गर्म क्षेत्रों में रहते हैं और इसलिए उनके कान बड़े होते हैं |
हाथी के पैर
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हाथी जैसे विशालकाय जानवर का शरीर बेहद वजनदार होता है | इस वजनदार शरीर का भार उठाने के लिये उसके पैरों की विशिष्ट रचना होती है |
हाथी के पैरों कि बनावट किसी गोल मोटे खंभों के समान होती है | इसके बड़े सीधे पैर निचेसे गद्देदार होते है जिसकी वजह से खड़े रहने में मांसपेशियों से कम शक्ति की आवश्यकता होती है | इसी वजहसे हाथी बिना थके बहुत लंबे समय तक खड़े रह सकते हैं |
हाथी के पैर निचेसे गद्देदार होने की वजहसे जब यह खड़ा होता है तो इसके वजन से वह फुल जाते है और जब हाथी पर उठाता है तो वह फिरसे पहले जैसे हो जाते है | इसी कारण से गीली मिट्टी में गहरा धँस जाने के बावजूद हाथी अपनी टांगों को आसानी से बाहर खींच लेता है।
भारतीय हाथियों के प्रत्येक पिछले पैर पर चार नाखून और प्रत्येक सामने के पैर पर पाँच नाखून होते हैं |
अफ़्रीकी हाथियों के प्रत्येक पिछले पैर पर तीन नाखून और प्रत्येक सामने के पैर पर चार नाखून होते हैं |
अनमोल हाथीदन्त (हस्तिदंत)
Elephant in Hindi :
हाथी के मुँह से बाहर निकले हुए सामने वाले बड़े दातों को गजदंत, हस्थीदंत या हाथी दात कहते है | दरअसल यह हाथियों के कृन्तक दाँत होते है | कृन्तक दाँत मतलब सामने वाले दांत |
अफ़्रीकी हाथी में नर और मादा दोनों के हाथीदांत होते हैं और एशियाई हाथियों में सिर्फ़ नर के लम्बे हाथीदाँत होते हैं |
हाथी के हाथीदाँत उनके जीवनकाल में निरन्तर बढ़ते रहते हैं | एक वयस्क नर के हाथीदाँत एक वर्ष में १८ से.मी. की दर से बढ़ते रहते हैं |
हाथीदाँत हाथी के विशालकाय दांत होते हैं | यह 6 फीट तक लबें हो सकते है और इनका वजन 22 किलोग्राम तक हो सकता है |
पूरी उम्र भर उनके 26 दाँत होते हैं | जब उनके भोजन को खाने वाले आख़री दांत गीर जाते है तब हाथी खाना खाने में असमर्थ हो जाता है और अंततः मर जाता है।
हाथी अपने हाथीदांत का उपयोग स्वयम की रक्षा के लिए, पानी की खुदाई के लिए, और चीजों को उठाने के लिए करता है |
हाथी के हाथीदांत बड़े अनमोल होते है | इनसे बहुतसी बहुमूल्य चीज़े बनाई जाती है जिसकी आंतरराष्ट्रीय बाजार में बड़ी कीमत होती है | इन्ही हाथीदांत को पाने के लिए इनका बडे पैमाने पर अवैध शिकार किया जाता था | इसी लिए आंतरराष्ट्रीय स्तर पर अब हाथीदाँत के व्यापार पर रोक लगा दी गई है |
राजा महाराजाओं की शान – हाथी
Elephant in Hindi :
हाथी जैसे विशाल और ताकतवर जानवर को सेकड़ो वर्षों से आदमी ने पालतू बनाने का हुन्नर सिख लिया था | आदमी इनका उपयोग सेकड़ो सालों से भारी सामान उठाने में, युद्ध में शत्रु संग लड़ने में और इनपर सवारी करने के लिए कर रहा था |
गतकाल में राजे-महाराजें हाथी पर सवारी करना अपनी शान समझते थे | हाथियों की सवारि को शाही सवारी माना जाता था |
हाथी को अपने महलों में रखना राजे, नवाब, सम्राट और अमीर लोग अपनी शान समझते थे |
हाथी बेहद इमानदार जानवर होता है जो अपने मालिक के प्रती वफादार होता है |
The Indian Elephant God
हिन्दू धर्म में हाथी का विशेष महत्व है और इसे पूजनीय भी माना जाता है |
हिन्दू धर्म के प्रमुख देवता श्री गणेश जी को हाथी का सर है | गणेशजी को बुद्धि की, ताकत की और सुख समृद्धि की देवता माना जाता है |
गणेशजी को गजानन और गजमुख भी कहा जाता है क्यों की इनका शरीर तो मनुष्य का है पर इनका मुख गज मतलब हाथी का है |
विदेशों में श्री गणेशजी को ‘ Indian Elephant God’ के नाम से जाना जाता है |
💡 क्या आप जानते है ?
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➡ हाथी आयने में अपने प्रतिबिम्ब को पहचान सकते है |
➡ उनके पास जानवरों के साम्राज्य में सबसे बड़ा मस्तिष्क और सबसे भारी दिल है |
➡ हाथी भावुक और सामाजीक जानवर है |
➡ हाथी की याददाश्त तेज होती है |
➡ हाथी कूद (Jump) नहीं सकते |
➡ हाथी एक बुद्धिमान जानवर है |
➡ हाथियों की आँखें कमजोर होती है, लेकिन वे 12 मील दूर से भी पानी सूंघ सकते हैं |
➡ हाथी लंबी दूरी तक तैरने में सक्षम हैं |
➡ दुनिया की एक सबसे महंगी कॉफी, थाई हाथियों के गोबर में पाये जाने कॉफ़ी के बीजों से बनाया जाती है |
➡ अब तक पाए गए अफ्रीकी हाथीयों में सबसे ऊँचा हाथी 13 फीट का था और इसका वजन लगभग 24000 पाउंड (10886 किलोग्राम) था |
➡ हाथी एक दूसरे की चिंघाड़ने की आवाज को (Trumping call) 8 किलोमीटर की दूरी तक सुन सकते हैं |
➡ जब मौसम गर्म होता है तो हम पसीना बहाते हैं लेकिन हाथी ऐसा नहीं कर सकते क्यों की उनमे पसीने की ग्रंथी नहीं होती हैं |
➡ हाथियों के स्वर-यंत्र मनुष्य के स्वर-यंत्र के आकार के आठ गुना बड़े होते हैं |
➡ हाथी एक ही समय में दो प्रकार की ध्वनि तरंगें, उच्च-आवृत्ति (high frequency) और कम-आवृत्ति तरंगें (low frequency) भेज सकते हैं |
➡ उच्च-आवृत्ति (high frequency) वाले ध्वनि तरंगें हवा के माध्यम से जल्दी से यात्रा करते हैं और कान पर उतरते हैं | वे एक मील तक की दूरी तय कर सकते हैं |
➡ दूसरी कम-आवृत्ति (low frequency) तरंगें हैं | वे कम से कम 5 या 6 मील की दूरी तय कर सकते हैं |
➡ मादा हाथी झूंड में रहना पसंद करती है और नर हाथी अकेले रहना पसंद करते है |
➡ ताकतवर और बड़ा जीव होने की वजहसे हाथी का कोइ नैसर्गिक शत्रु नहीं है | पर बीमार, बुड्ढे और बच्चे हाथी का शिकार सिंह का समूह कर लेता है |
➡ हाथी मधुमक्खियों से बेहद डरते हैं | अगर मधुमाक्खियोंका झूंड हाथियों पर हमला कर दे तो वो झूंड से तितर-बितर हो जाते है |
➡ हाथी चींटियों से नफरत करते है | चींटियों वाली जगह वो रुकते नहीं है |
➡ एशियाई हाथी को भारतीय हाथी कहा जाता है |
➡ थाईलैंड को सफेद हाथियों की भूमि के रूप में जाना जाता है। हाथी थाईलैंड देश का राष्ट्रीय प्रतीक है|
➡ सफेद हाथि वास्तव में अल्बिनो (Albino) रोग से पीड़ित होते हैं | अल्बिनो (Albino) रोग में शरीर को रंग प्रदान करने वाली कोशिकाएं अनुपस्थित होते हैं | जिसकी वजहसे हाथी सफ़ेद रंग के दीखते हैं |
Elephant in Hindi