Jupiter in Hindi : Jupiter हमारे सौर मंडल (Solar System) का एक ग्रह है जिसको हिंदीमें ‘बृहस्पति‘ कहते है | Jupiter (ज्युपिटर) यह रोमन देवताओंके राजा थे, जिन्हें महानता का प्रतीक माना जाता है |
बृहस्पती ग्रह को रोमन देवताओंके राजा Jupiter का नाम दिया गया है |
आइये इस लेख में जानने की कोशिश करते है की इस ‘बृहस्पती ग्रह’ में ऐसी कौन सी विशेषताएं है जिसके कारण इसे रोमन देवताओंके राजा ‘Jupiter (ज्युपिटर)’ का नाम दिया गया है |
Table of Contents
Jupiter in Hindi
करीब 4.5 अरब साल पहले अन्तरिक्ष के Stardust (स्टारडस्ट) से बना बृहस्पति यह सौर मंडल का सबसे पहला ग्रह है |
Stardust (स्टारडस्ट) मतलब तारों की धुल |
जीवित मनुष्य की तरह ही तारों की भी आयु होती है | जब तारों की आयु समाप्त हो जाती है तो उनमे बड़ा विस्फोट हो जाता है |
तारों में जब विस्फोट हो जाता है तो उनके अवशेष ब्रम्हांड में फ़ैल जाते है | इन्ही अवशेषों से बना ‘बृहस्पति’ यह सौर मंडल का सबसे पहला ग्रह है |
वास्तव में देखा जाए तो बृहस्पति की रचना एक तारे की तरह है | यदि बृहस्पति आज के आकार से लगभग 80 गुना अधिक विशाल होता, तो वह एक ग्रह के बजाय एक तारा बन जाता |
अगर पृथ्वी से देखा जाए तो बृहस्पति, शुक्र ग्रह (Venus) के बाद रात के आसमान में दिखनेवाला दूसरा सबसे अधिक चमकीला ग्रह है |
बृहस्पती को पृथ्वी से रात के अँधेरे में बिना दूरबीन के भी देखा जा सकता है |
सूर्य के बाद हमारे सौर मंडल में बृहस्पति एक प्रमुख व्यक्तित्व है | बड़ा आकार और जबरदस्त गुरुत्वबल के कारण उसे ग्रहों का राजा माना जाता है |
बृहस्पति ग्रह पर जो कठिन परिस्थितियां है उनके कारण यहाँ पर किसी भी तरह का जीवन होना संभव नहीं है |लेकिन बृहस्पति के कुछ चन्द्रमाओं की सतह के नीचे महासागर मौजूद हैं, जहाँ जीवन हो सकता हैं।
(Jupiter in Hindi)
सबसे बड़ा ग्रह
बृहस्पति प्राचीन काल से जाना जाता है, क्योंकि यह अपने बड़े आकार के कारण उन्नत दूरबीनों (telescopes) के बीना भी देखा जा सकता है |
यह सौर मंडल का सबसे बड़ा ग्रह है | इसे हम रात को बिना दूरबीन का उपयोग किए भी देख सकते है |
बृहस्पति ग्रह पृथ्वी ग्रह से लगभग 11 गुना चौड़ा है | यह भूमध्य रेखा (Equator) पर लगभग 143,000 किलोमीटर चौड़ा है |
बृहस्पति इतना बड़ा है कि सौर मंडल के अन्य सभी ग्रह इसके अंदर समा हो सकते हैं | 1,300 से अधिक पृथ्वी बृहस्पति के अंदर समा सकती है |
पृथ्वी का व्यास 12742 किमी. है तो जुपिटर का व्यास 139,822 किमी. है |
बृहस्पति का द्रव्यमान (Mass) 318 पृथ्वी द्रव्यमान के बराबर है |
हमारे सौर मंडल के अन्य ग्रहों का द्रव्यमान 129 पृथ्वी द्रव्यमान (Mass) के बराबर है |
बृहस्पति का द्रव्यमान (Mass) सौर मंडल में मौजूद सात ग्रहों के मुकाबले में लगभग 2.5 गुना है और सूर्य के हजारवें भाग के बराबर है |
अगर हमारी पृथ्वी किसी गुलाब जामुन के आकार की है तो बृहस्पति फुटबॉल के आकार का होगा |
बृहस्पती का बड़ा आकार और उसके शक्तिशाली गुरुत्वाकर्षण ताकत के कारण उसे सभी ग्रहों का राजा माना जाता है |
पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बल के मुकाबले बृहस्पति का गुरुत्वाकर्षण बल 2.4 गुना ज्यादा है |
अगर पृथ्वी पर एक व्यक्ति का वजन 100 किलो है तो बृहस्पति ग्रह पर उस व्यक्ति का वजन 240 किलो होगा |
बृहस्पति यह सूर्य से पांचवां ग्रह है | मंगल और शनि बृहस्पति के पड़ोसी ग्रह हैं |
हमारे सौर मंडल में कुल आठ ग्रह है | इनके नाम है-
Solar Planet | सौर ग्रह | |
1. | Mercury | बुध |
2. | Venus | शुक्र |
3. | Earth | पृथ्वी |
4. | Mars | मंगल |
5. | Jupiter | बृहस्पति |
6. | Saturn | शनि |
7. | Uranus | अरुण |
8. | Neptune | नेपच्यून |
(Jupiter in Hindi)
बृहस्पतिके कितने चन्द्रमा ?
हमारे पृथ्वी ग्रह को एक उपग्रह है जिसे हम चन्द्रमा कहते है |
बृहस्पति ग्रह के अभी तक खोजे गए उपग्रहों (चन्द्रमा) की कुल संख्या 79 है | सौर मंडलके जितने भी ग्रह है उनमे सबसे ज्यादा चन्द्रमा बृहस्पति के पास है |
अब तक बृहस्पति ग्रह के 53 चन्द्रमा को नाम दिया गया है और उसके 26 चन्द्रमा ओंको आधिकारिक नाम देना अभी बाकी है |
सबसे पहले 1610 में इटली के खगोल विज्ञानी गैलीलियो गैलीली ने दूरबीन द्वारा यह पता लगाया के बृहस्पति ग्रह को भी पृथ्वी ग्रहके तरह ही चन्द्रमा है | इस घटना ने वैज्ञनिको का सौर मंडल की तरफ देखने का नजरिया बदल दिया |
गैलीलियोने दूरबीन द्वारा बृहस्पतिके चार सबसे बड़े चंद्रमाओं की खोज की थी जिन्हें ‘गैलिलियन उपग्रह’ (Galilean Satellites) कहां जाता है |
इन चार ‘गैलिलियन उपग्रहों के नाम है :-
➡ IO (आय ओ)- बृहस्पति ग्रह का IO यह उपग्रह सौर मंडल में सबसे अधिक ज्वालामुखीय सक्रिय खगोलीय पिंड है |
➡ Ganymede (गेनीमेड) – यह सौर मंडल का सबसे बड़ा चंद्रमा है जो बुध ग्रह से भी बड़ा है |
गेनीमेड सौर मंडल का एकमात्र चंद्रमा है जिसे आंतरिक रूप से उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र के लिए जाना जाता है |
➡ Europa (यूरोपा) – इस उपग्रह की सतह ज्यादातर पानी और बर्फ से ढकी हुयी है | यह इस बात का संकेत है की यूरोपाके सतह के निचे पाणी का महासागर हो सकता है |
इस उपग्रह पर पृथ्वीके पाणी के दोगुना पाणी हो सकता है |
खगोल जीवविज्ञानी इस चन्द्रमा पर जीवन होने के शक्यताओंका भी अभ्यास कर रहे है |
➡ Callisto (केल्लीस्टो) – इस उपग्रह की सतह ज्यादातर गड्ढे से भरी है | यह गड्ढे सौर मंडल के प्रारंभिक इतिहास को दर्शाते है |
(Jupiter in Hindi)
बृहस्पतिके चंद्रमाओं की सूची
बृहस्पती के पास 79 चन्द्रमा है इसका प्रमुख कारण है इसका सौर मंडल में सबसे बड़ा आकार और जबरदस्त गुरुत्वीय खिंचाव |
सबसे शक्तिशाली गुरुत्वाकर्षण के कारण से ही बृहस्पती के लिए 79 चन्द्रमा का स्वामी बनाना संभव हो पाया है |
List of Jupiter Satellites– बृहस्पती ग्रह के 79 चन्द्रमा के नाम और उनके संबंधी जानकारी कुछ इस प्रकार से है |
1. Adrastea (अड्रास्टिया) – बृहस्पती के इस चन्द्रमा की खोज जुलाई 1979 में Voyager Science Team ने की |
2. Aitne (एटने) – Aitne कार्मे समूह (Carme group) का सदस्य है, जोवियन उपग्रहों का एक परिवार है |
3. Amalthea (एमाल्थिआ) – इस बृहस्पती ग्रह के चन्द्रमा की खोज सितम्बर 9, 1892 में Mr. Edward Emerson Barnard (एडवर्ड एमर्सन बरनार्ड) ने की |
4. Ananke (एनान्के) – सितम्बर 28, 1951 में Mr. Seth Barnes Nicholson (श्री सेठ बार्न्स निकोलसन) ने इस चन्द्रमा को खोजा था |
5. Aoede (ओएदे) – हवाई (Hawaii) स्थित मौना केआ वेधशालामें (Mauna Kea Observatory) स्कॉट एस. शेपर्ड (Scott S. Sheppard), डेविड सी. जेविट (David C. Jewitt), जान टी. केलना (Jan T. Kleyna), यंगा आर. फर्नांडीज (Yanga R. Fernandez), हेनरी एच. ह्सिएह (Henry H. Hsieh) इन्होने फरवरी 8, 2003 में बृहस्पति का यह चन्द्रमा खोज निकाला था |
6. Arche (आर्काइ) – यह उपग्रह कार्मे समूह (Carme group) का सदस्य है, जोवियन उपग्रहों का एक परिवार है |
7. Autonoe (ऑटोनोए) – ऑटोनोए की खोज 10 दिसंबर, 2001 को श्री. स्कॉट एस. शेपर्ड, डेविड सी. जेविट और जान टी. केलना द्वारा हवाई के मौना के वेधशाला में की गई थी।
8. Callirrhoe (कॉलिरो) – एरिज़ोना विश्वविद्यालय के स्पेसवॉच कार्यक्रम के दौरान, इस चन्द्रमा को 19 अक्टूबर 1999, टेलीस्कोप के माध्यम से खोजा गया था |
9. Callisto (कैलिस्टो) – यह चन्द्रमा सौर मंडलका सबसे ज्यादा गड्ढे से भरा उपग्रह है|
10. Carme (कैर्मे) – कार्मे की खोज 30 जुलाई 1938 को सेठ बार्नेस निकोलसन ने कैलिफोर्निया के माउंट विल्सन ऑब्जर्वेटरी में 100-इंच (2.5 मीटर) हुकर टेलिस्कोप से की थी।
11. Carpo (कारपो) – ‘कारपो’ की खोज 26 फरवरी, 2003 को स्कॉट एस. शेपर्ड और अन्य लोगोने हवाई-विश्वविद्यालय के खगोल विज्ञान संस्थान से 12 फीट दूरबीन का उपयोग करके की थी |
12. Chaldene (चेल्डीन)- चैल्डीन की खोज 23 नवंबर 2000 को अमेरिका के हवाई राज्य में मौना के वेधशाला में स्कॉट एस. शेपर्ड, डेविड सी. जेविट, यैंग आर. फर्नांडीज और यूजीन मैग्नियर द्वारा की गई थी।
13. Cyllene (साइलाइन) – ‘साइलाइन’ की खोज 9 फरवरी, 2003 को स्कॉट एस. शेपर्ड और उनकी टीम ने की थी।
14. Dia (दीय) – ‘दीय’ उपग्रह हिमालया समूह के सबसे छोटे सदस्य में से है।
15. Eirene (आइरीन) – ‘आइरीन’ की खोज फरवरी 2003 में स्कॉट सैंडर शेपर्ड द्वारा हवाई के मौना के वेधशाला में की गई थी |
16. Elara (एलारा) – कैलिफोर्निया के सैन जोस विश्वविद्यालय में हैमिल्टन के लिक वेधशाला में चार्ल्स डिलन पेरिन द्वारा 5 जनवरी 1905 को ‘एलारा’ की खोज की गई थी |
17. Erinome (एरिनोम) – ‘एरिनोम’ की खोज 23 नवंबर 2000 को स्कॉट एस. शेपर्ड, डेविड सी. जेविट, यंगा आर. फर्नांडीज और यूजीन मैग्नियर ने हवाई के मौना के वेधशाला में की थी |
18. Ersa (इरसा) – बृहस्पति के इस छोटे चंद्रमा को पहली बार 2017 में देखा गया था और इसके खोज की घोषणा जुलाई 2018 में की गई थी |
19. Euanthe (यूएन्थे)- Euanthe की खोज 11 दिसंबर 2001 को स्कॉट एस. शेपर्ड, डेविड सी. जेविट, और जन टी. केलना द्वारा हवाई के मौना के वेधशाला में की गई थी |
20. Eukelade (यूकेलाडे)- Eukelade की खोज 6 फरवरी, 2003 को स्कॉट एस. शेपर्ड द्वारा हवाई के मौना की वेधशाला में की गई थी |
21. Eupheme (यूफेम) – यूफेम की खोज 4 मार्च 2003 को स्कॉट एस. शेपर्ड द्वारा हवाई के मौना के वेधशाला में की गई थी |
22. Euporie (यूपोरी) – Euporie की खोज 11 दिसंबर, 2001 को स्कॉट एस. शेपर्ड, डेविड सी. जेविट, और जन टी. केलना द्वारा हवाई के मौना की वेधशाला में की गई थी |
23. Europa (यूरोपा)- यूरोपा का वातावरण ऐसा है जहाँ जीवन मौजूद हो सकता है |
24. Eurydome (यूरीडोम) – इस उपग्रह की खोज 9 दिसंबर 2001 को स्कॉट एस. शेपर्ड, डेविड सी. जेविट, और जन टी. केलेना द्वारा हवाई के मौना के वेधशाला में की गई थी |
(Jupiter in Hindi)
25. Ganymede (गेनीमेड)- बृहस्पती का चन्द्रमा ‘गैनीमेड’ हमारे सौर मंडल का सबसे बड़ा उपग्रह है |
26. Harpalyke (हरपल्यके) – हवाई राज्य स्थित मौना के वेधशाला में स्कॉट एस. शेपर्ड, डेविड सी. जेविट, यंगा आर. फर्नांडीज और यूजीन मैग्नियर द्वारा 23 नवंबर 2000 को इसकी खोज की गई थी।
27. Helike (हेलिके) – ‘हेलिके’ की खोज 6 फरवरी 2003 को स्कॉट एस. शेपर्ड ने हवाई में मौना की वेधशाला में की थी |
28. Hermippe (हर्मिपे) – ‘हर्मीपे’ को 9 दिसंबर 2001 को स्कॉट एस. शेपर्ड, डेविड सी. जेविट, और जन टी. केलना द्वारा हवाई के मौना के वेधशाला में खोजा गया था |
29. Herse (हरसे) – इसकी खोज 27 फरवरी, 2003 को ब्रेट जे. ग्लैडमैन, जॉन जे. कवेलारस, जीन मार्क पेटिट और लिन एलन द्वारा की गई थी |
30. Himalia (हिमालिया)- हिमालिया उपग्रह की खोज 3 दिसंबर 1904 को चार्ल्स डिलन पेरिन ने कैलिफ़ोर्निया विश्वविद्यालय के लिक वेधशाला में की थी।
31. IO (आईओ) – बृहस्पती के ‘IO’ चन्द्रमा पर सौर मंडल में सबसे अधिक ज्वालामुखी सक्रिय है।
32. Locaste (लोकास्टे) – इसकी खोज 23 नवंबर, 2000 को स्कॉट एस शेपर्ड, डेविड सी. जेविट, यंगा आर. फर्नांडीज़ और यूजीन मैग्नियर ने हवाई स्थित मौना के वेधशाला में की थी |
33. Isonoe (इसोनो) – ‘इसोनो’ चन्द्रमा की खोज 23 नवंबर 2000 को स्कॉट एस. शेपर्ड, डेविड सी. जेविट, यंगा आर. फर्नांडीज़ और यूजीन मैग्नियर ने हवाई स्थित मौना के वेधशाला में की थी |
34. Jupiter LI (जूपिटर एल 1) – यह बृहस्पती का एक छोटा चाँद है |
35. Jupiter LII (जूपिटर एल 2) – बेहतर तकनीकवाले दूरबीन से इस बृहस्पती के चन्द्रमा को धरतीसे खोजा गया था |
36. Kale (काएल) – ‘काएल’ की खोज 9 दिसंबर 2001 को स्कॉट एस. शेपर्ड, डेविड सी. जेविट, और जन टी. केलना द्वारा हवाई स्थित मौना की वेधशाला में की गई थी |
37. Kallichore (कल्लीचोरे) – ‘कल्लिचोरे’ यह उपग्रह कार्मे समूह (Carme group) का सदस्य है और जोवियन उपग्रहों का एक परिवार है |
38. Kalyke (कल्येक)- ‘कल्येक’ यह उपग्रह कार्मे समूह (Carme group) का सदस्य है और जोवियन उपग्रहों का एक परिवार है |
39. Kore (कोरे) – ‘कोरे’ उपग्रह पासीफ़े (Pasiphae) समूह का सदस्य माना जाता है और जोवियन उपग्रहों का एक परिवार है |
40. Leda (लेडा)- ‘लेडा’ चन्द्रमा की खोज 14 सितंबर, 1974 को, चार्ल्स थॉमस कोवल माउंट ने पालोमर स्थित टेलीस्कोप (दूरबीन) से की |
41. Lysithea (लाइसिथिया) – ‘लिसिथिया’ की खोज 6 जुलाई 1938 को सेठ बार्न्स निकोलसन ने माउंट विल्सन वेधशाला में की थी |
42. Megaclite (मेगाक्लाइट)– ‘मेगाक्लाइट’ चन्द्रमा पासीफ़े (Pasiphae) समूह का सदस्य माना जाता है और यह जोवियन उपग्रहों का एक परिवार है |
43. Metis (मेटिस)– बृहस्पती का चन्द्रमा ‘मेटिस’ की खोज मार्च 1979 में Voyager science team ने की थी |
44. Mneme (मनेम) – ‘Mneme’ एनान्के (Ananke) समूह का एक सदस्य है और यह जोवियन उपग्रहों का एक परिवार है |
(Jupiter in Hindi)
45. Orthosie (ऑर्थोसी) – बृहस्पती का Orthosie (ऑर्थोसी) चन्द्रमा एनान्के (Ananke) समूह का सदस्य है और यह जोवियन उपग्रहों का एक परिवार है |
46. Pandia (पांडिया) – बृहस्पति के इस छोटे चंद्रमा को पहली बार 2017 में देखा गया था | खोज की घोषणा जुलाई 2018 में की गई थी |
47. Pasiphae (पासीफ़े) – इस उपग्रह की खोज 27 जनवरी, 1908 को, ग्रीनविच वेधशाला में 30 इंच के कैसग्रेन (Cassegrain) टेलिस्कोप से फिलीबर्ट जैक्स मेलोट ने की थी |
48. Pasithee (पसिथे)– Pasithee की खोज 11 दिसंबर 2001 को स्कॉट एस. शेपर्ड, डेविड सी. जेविट और जन टी. केलना द्वारा हवाई स्थित ‘मौना की’ वेधशाला में की गई थी।
49. Philophrosyne (फिलोफ्रोसिन) – चन्द्रमा ‘Philophrosyne’ की खोज अप्रैल 2003 में स्कॉट एस. शेपर्ड ने हवाई के ‘मौना के वेधशाला’ में की थी |
मूल रूप से इस उपग्रह को S/2003 J15 को नाम दीया गया था।
50. Praxidike (प्रेक्सिडाइक) – ‘प्रेक्सिडाइक’ की खोज 23 नवंबर 2000 को स्कॉट एस शेपर्ड, डेविड सी. जेविट, यंगा आर. फर्नांडीज और यूजीन मैग्नियर ने हवाई स्थित ‘मौना की’ वेधशाला में की गयी थी |
51. Sinope (सिनोप) – सिनोप की खोज 21 जुलाई, 1914 को सेठ बार्नेस निकोलसन ने लिक वेधशाला में की थी |
52. Sponde (स्पोंडे) – ‘स्पोंडे’ की खोज 9 दिसंबर, 2001 को स्कॉट एस शेपर्ड, डेविड सी. जेविट और जन टी. केलना द्वारा हवाई स्थित ‘मौना के’ वेधशाला में की गई थी|
53. Taygete (तयगेते) – हवाई स्थित ‘मौना की’ वेधशाला में स्कॉट एस शेपर्ड, डेविड सी. यहूदी, यंगा आर. फर्नांडीज और यूजीन मैग्नियर द्वारा ‘तयगेते’ की खोज 25 नवंबर 2000 को की गई थी |
54. Thebe (थेबे) – 1980 में वायेजर विज्ञान टीम (Voyager science team) द्वारा इस बृहस्पती के चन्द्रमा को खोजा गया था |
55. Thelxinoe (थेलक्सीनोए) – Thelxinoe उपग्रह की खोज 9 फरवरी, 2003 को स्कॉट एस. शेपर्ड और ब्रेट जे. ग्लैडमैन द्वारा हवाई के ‘मौना की’ वेधशाला में की गई थी |
56. Themisto (थेमिस्तो) – बृहस्पती के Themisto चन्द्रमा को 30 सितंबर, 1975 को चार्ल्स थॉमस कोवल और एलिजाबेथ रोमर द्वारा खोजा गया था |
57. Thyone (थायोन)- थायोन की खोज 11 दिसंबर, 2001 को स्कॉट एस. शेपर्ड, डेविड सी. जेवट और जान टी. केलना द्वारा हवाई स्थित ‘मौना की’ वेधशाला में की गई थी।
58. S/2003 J12 – इस उपग्रह की खोज फ़रवरी 6 और मार्च 7, 2003 के बीच की गई | स्कॉट एस. शेपर्ड और अन्य लोगो ने हवाई स्थित ‘मौना के’ वेधशाला में ‘हवाई इंस्टीट्यूट फॉर एस्ट्रोनॉमी विश्वविद्यालय’ से कि |
59. S/2003 J16 – S/2003 J16 की खोज अप्रैल 2003 में ब्रेट जे ग्लैडमैन (Brett J. Gladman) ने हवाई स्थित ‘मौना के’ वेधशाला में की थी |
60. S/2003 J18 – S /2003 J18 की खोज अप्रैल 2003 में ब्रेट जोसेफ ग्लैडमैन ने मौना की’ वेधशाला, हवाई में की थी।
61. S/2003 J19 – S/2003 J19 की खोज फरवरी 2003 में Brett J. Gladman (ब्रेट जे ग्लैडमैन) ने हवाई स्थित ‘मौना के’ वेधशाला में की थी |
62. S/2003 J2 – ‘S/2003 J2’ की खोज फरवरी या मार्च 2003 में स्कॉट एस. शेपर्ड, डेविड सी. जेवट, जान टी. केलना, यंगा आर. फर्नांडीज और हेनरी एच. हर्ष द्वारा हवाई स्थित ‘मौना के वेधशाला’ में की गई थी |
63. S/2003 J23 – ‘S/2003 J23’ की खोज 2003 में स्कॉट एस. शेपर्ड ने हवाई स्थित ‘मौना के वेधशाला’ में की थी।
64. S/2003 J4 – ‘S/2003 J4’ की खोज 2003 में स्कॉट एस. शेपर्ड, डेविड सी. जेवट, जान टी. केलना, यंगा आर. फर्नांडीज और हेनरी एच. हेसिह ने हवाई में ‘मौना की वेधशाला’ में की थी।
65. S/2003 J9 – ‘S/2003 J9’ की खोज फरवरी 2003 में स्कॉट सैंडर शेपर्ड ने हवाई स्थित ‘मौना केए वेधशाला’ में की थी।
66. S/2011 J1 – बृहस्पति के इस चन्द्रमा के बारे में बहुत कम जानकारी हैं।
67. S/2011 J2 – बृहस्पति की इस नई चंद्रमा के बारे में बहुत कम जानकारी हैं |
68. S/2016 J1 – बृहस्पति के इस छोटे चंद्रमा को पहली बार 2016 में देखा गया था|
(Jupiter in Hindi)
69. S/2016 J2 (Valetudo)- बृहस्पति के इस छोटे चंद्रमा को पहली बार 2017 में देखा गया था | इस खोज की घोषणा जून 2018 में की गई थी |
70. S/2017 J1 – बृहस्पति के इस छोटे चंद्रमा को पहली बार 2016 में देखा गया था और खोज की घोषणा जुलाई 2017 में की गई थी।
71. S/2017 J2 – बृहस्पति के इस छोटे चंद्रमा को पहली बार 2017 में देखा गया था और इसके खोज की घोषणा जुलाई 2018 में की गई थी |
72. S/2017 J3 – बृहस्पति के इस छोटे चंद्रमा को पहली बार 2017 में देखा गया था | खोज की घोषणा जुलाई 2018 में की गई थी |
73. S/2017 J5 – बृहस्पति के इस छोटे चंद्रमा को पहली बार 2017 में देखा गया था | खोज की घोषणा जुलाई 2018 में की गई थी |
74. S/2017 J6 – बृहस्पति के इस छोटे चंद्रमा को पहली बार 2017 में देखा गया था| इस खोज की घोषणा जुलाई 2018 में की गई थी |
75. S/2017 J7 – बृहस्पति के इस छोटे चंद्रमा को पहली बार 2017 में देखा गया था । खोज की घोषणा जुलाई 2018 में की गई थी।
76. S/2017 J8 – बृहस्पति के इस छोटे चंद्रमा को पहली बार 2017 में देखा गया था। खोज की घोषणा जुलाई 2018 में की गई थी |
77. S/2017 J9 – बृहस्पति के इस छोटे चंद्रमा को पहली बार 2017 में देखा गया था। खोज की घोषणा जुलाई 2018 में की गई थी |
78. S/2003 J10 – ‘S/2003 J10’ की खोज फरवरी 2003 में स्कॉट सैंडर शेपर्ड ने हवाई स्थित ‘मौना केए वेधशाला’ में की थी |
79. Hegemone (हेग्मोन)- 8 फरवरी, 2003 को स्कॉट एस. शेपर्ड, डेविड सी. जेविट, जान टी. केलना, यंगा आर. फर्नांडीज़ और हेनरी एच. हेसिह द्वारा हवाई में ‘मौना की वेधशाला’ में खोजा गया था |
(Jupiter in Hindi)
बृहस्पति का वायुमंडल
इस ग्रह का वातावरण सूर्य की वातावरण तरह ही ज्यादातर हाइड्रोजन (H2) गैस और हीलियम (He) गैस से बना हूआ है | इसलिए बृहस्पति को गैस का विशाल ग्रह कहा जाता है |
बृहस्पति की गैसेस्ट (Gas) रचना इसकी वायुमंडल में देखी जा सकती है |
इसके वायुमंडल में हाइड्रोजन की मात्रा 75% और हीलियम की मात्रा 24% है |
पृथ्वी पर हाइड्रोजन गैस के रूप में है | लेकिन बृहस्पति पर वायुमंडल के अंदर इतना जबरदस्त दबाव है कि यह गैस तरल (liquid) रूप में परावर्तीत हो जाती है |
जब बृहस्पती घूमता है तो उसके साथ उसपर मौजूद द्रव्ररुपि तरल धातु महासागर भी घूमता है | जिसकी वजह से यह तरल धातु महासागर सौर मंडल में सबसे अधिक चुंबकीय क्षेत्र बृहस्पती के लिए निर्माण करता है |
बृहस्पति में एक विशाल चुंबक की तरह एक अत्यंत शक्तिशाली चुंबकीय क्षेत्र है |
बादलों के हजारों किलोमीटर ऊपर बृहस्पति का चुंबकीय क्षेत्र, पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र से 20 गुना अधिक है |
बृहस्पती के बादल (Cloud) हमेशा गतिमान रहते है | यह बादल जहरीली गैसेस जैसे की मीथेन (CH₄) और अमोनिया (NH3) से बने हुए है |
पृथ्वी की तरह बृहस्पती ग्रह पर ठोस सतह (जमीन) नहीं है क्यों की यह पूरी तरह से गैस से बना हुआ है |
लगभग 44 मील मोटी वायुमंडल की विशालकाय परत बृहस्पती ग्रह पर है |
यह ग्रह घने लाल (Red), भूरे (Brown), पीले (Yellow) और सफेद (White) बादलों में ढका हुआ है | इन बादलोंकी वजहसे इस ग्रहपर अलग रंग की धारियां (Stripes) दिखती है |
बृहस्पति की परिचित धारियाँ (Stripes) और भंवर वास्तव में अमोनिया और पानी से भरे बादल है जो बृहस्पति के हाइड्रोजन और हीलियम के वातावरण में तैर रहे हैं |
बृहस्पती के बादलों के परत में मौजूद विभिन्न रसायन के कारण यह अलग-अलग रंग की धारियाँ (Stripes) दिखती है |
बृहस्पति के बादलों में तापमान शून्य से 145 डिग्री सेल्सियस (शून्य से 234 डिग्री फ़ारेनहाइट) के आसपास रहता है |
इस ग्रह के केंद्र के पास का तापमान अधिक गर्म होता है | यह तापमान लगभग 24,000 डिग्री सेल्सियस तक हो सकता है जो सूरज की सतह की तुलना में सबसे ज्यादा गर्म है |
बृहस्पति ग्रह पर हवाएं बहुत तेज होती है | यह प्रति घंटे 400 मील गति से चलती है, जो श्रेणी 5 तूफान की तुलना में कम से कम ढाई (2.5) गुनासे अधिक है |
तेज हवाओं की वजह से बृहस्पती पर तूफ़ान उमड़ते रहते है | बृहस्पति के तूफानों से सैकड़ों मील ऊपर तैरते हुए, लगभग 79 चंद्रमा हैं, जो आठ ज्ञात ग्रहों में से सबसे अधिक हैं |
(Jupiter in Hindi)
बृहस्पति का महान लाल धब्बा
बृहस्पती पर एक बडासा लाल धब्बा है | यह इतना बड़ा है की इसे पृथ्वी से भी आसानी से देखा जा सकता है |
हमारे सौर मंडल के सबसे बड़े ग्रह का यह लाल धब्बा उसकी पहचान बन चूका है | इस लाल धब्बे का आकार हमारे पृथ्वी के आकार के दोगुना है |
बृहस्पति का प्रतिष्ठित महान लाल धब्बा (Great Red Spot) एक विशालकाय तूफ़ान है जो पृथ्वी से भी बड़ा है जो सैकड़ों वर्षों से व्याप्त है |
बृहस्पती के महान लाल धब्बे को पहली बार 1831 में शौकिया खगोलविद सैमुअल हेनरिक श्वेबे (Samuel Heinrich Schwabe) ने देखा था, इसलिए हम जानते हैं कि यह महान लाल धब्बा कम से कम 150 वर्षों से मौजूद है |
दरअसल बृहस्पती पर दिखने वाला यह लाल धब्बा बड़ा सा तूफ़ान है | वैज्ञानिको का अनुमान है यह तूफ़ान 350 साल से भी पुराना हो सकता है |
वैज्ञानिको के अनुसार इस लाल तूफ़ान का आकार धीरे-धीरे कम हो रहा है |
19 वीं शताब्दी में यह महान लाल धब्बा (Great Red Spot) पृथ्वी के आकार के दोगुना था |
3 अप्रैल, 2017 में की गई निरक्षण के अनुसार इस लाल तूफ़ान की चौड़ाई अब 16,000 किलोमीटर की है | मतलब यह ग्रेट रेड स्पॉट पृथ्वी की तुलना में अब 1.3 गुना चौड़ा है |
(Jupiter in Hindi)
बृहस्पती के अदृश्य छल्ले
जिस तरह शनी ग्रह के आसपास घूमते हुए छल्ले (Rings) है उसी तरह बृहस्पति के आसपास भी घूमते हुए तीन छल्ले (Rings) है |
हमारे सौर मंडल के सभी चार विशाल ग्रहों में रिंग सिस्टम है |
बृहस्पति के छल्ले देखना मुश्किल है क्यों की यह बहुत ही पतले है |
इन छल्ले को 1979 में नासा के वायेजर अंतरिक्ष यान द्वारा खोजा गया था | बृहस्पति के छल्ले ज्यादातर छोटे धूल कणों से बने हूए हैं |
ऐसा माना जाता है की बृहस्पति के चंद्रमाओं और उल्कापिंडों के बीच टकराव होने से जो धुल मिट्टी उडी उनसे ये छल्ले बने हुए है |
बृहस्पती के छल्ले के धुल कण इतने छोटे है की अगर हजार धुल कण इक्कठा किये जाये तो वह सिर्फ 1 मिलीमीटर तक लंबे होते है |
इतने छोटे धुल कणसे बने होने के कारण यह छल्ले अस्पष्ट होते है और आसानी से दीखते नहीं है |
(Jupiter in Hindi)
पृथ्वी का रक्षक बृहस्पति
हमारे सौर मंडल में जो सबसे पहले ग्रह बना, वह था बृहस्पती |
आकार में बड़ा होने के साथ-साथ इसकी गुरुत्वाकर्षण शक्ती भी जबरदस्त है जो सौर मंडल में मौजूद अन्य सात ग्रहों के आकार को भी प्रभावित करती है |
सौर मंडल के शुरुआती दिनों के दौरान, बृहस्पति ग्रह अंतरिक्ष के मलबे को अपने तरफ आकर्षित करके नष्ट करने वाला पहला ग्रह था |
अंतरिक्ष के मलबे को अपने तरफ आकर्षित करके नष्ट करने की बृहस्पती ग्रह के क्रिया के कारण सौर मंडल के अन्य ग्रह के आकार को बढ़ने में मदद मिली |
हमारी पृथ्वी की तरफ आने वाले धूमकेतुओं और क्षुद्रग्रहों को अपनी तरफ खिंच के बृहस्पती पृथ्वी को दुर्घटनाग्रस्त होने से बचाता है |
बृहस्पती हमारे पृथ्वी के जीवन के लिए किसी रक्षक के रूप में काम करता है |
सौर मंडल के ग्रहों को दुर्घटनाग्रस्त होने से बचाने में बृहस्पती की बड़ी भूमिका है |
(Jupiter in Hindi)
सबसे तेज घूमने वाला ग्रह
हमें पता है की पृथ्वी अपने अक्ष (Axis)पर घूमती है | पृथ्वी को अपने अक्ष पर घुमते हुए एक चक्कर पूरा करने में 24 घंटे लगते है | जिसे हम पृथ्वी का एक दीन मानते है |
बृहस्पती ग्रह को अपने अक्ष पर घुमते हुए एक चक्कर पूरा करने में सिर्फ 10 घंटे लगते है|मतलब इस ग्रह पर एक दीन (एक जोवियन दिवस) 10 घंटे का है |
बृहस्पति ग्रह पर एक वर्ष 11.86 पृथ्वी वर्ष (4333 पृथ्वी दिवस) के समान है।
अपने अक्ष पर इतनी तेजी से घूमने वाला बृहस्पती यह हमारे सौर मंडल का सबसे तेज घूमने वाला ग्रह है |
सौर मंडल का कोइ भी ग्रह इतनी तेजी से घूमता नही है |
(Jupiter in Hindi)
बृहस्पती का आकार और दूरी
43,440.7 मील (69,911 किलोमीटर) की त्रिज्या (Radius) के साथ, बृहस्पति पृथ्वी से 11 गुना चौड़ा (Wide) है |
सूर्य से बृहस्पति की औसत दूरी ७७ करोड़ ८० लाख किमी (5.2 खगोलीय इकाई) है | यह दूरी पृथ्वी से सूर्य की दूरी से पांच गुना अधिक है |
पृथ्वी की सूर्य से दूरी एक खगोलीय इकाई (1 AU) है |
सूर्य से पृथ्वी की दूरी जितनी है उस अंतर को एक खगोलीय इकाई (1 AU = Astronomical unit) कहते है |
सूर्य से बृहस्पति की यात्रा के लिए सूर्य के प्रकाश को 43 मिनट लगते हैं |
(Jupiter in Hindi)
बृहस्पति की अद्भुत ताकत

मानव निर्मित अंतरिक्ष यान के शक्ती की कुछ मर्यादा है | हमारे सौर मंडल की कक्षा के दूर तक जाने इतनी गती अब तक उसे हासील नही है |
1962 में, वैज्ञानिकों ने गणना की कि कैसे बृहस्पति के तीव्र गुरुत्वाकर्षण का उपयोग करके अंतरिक्ष यान को सौर मंडल के सबसे दूर के क्षेत्रों में पहुंचाया जाए |
वैज्ञानिक बृहस्पती के शक्तीशाली गुरुत्वाकर्षण को उपयोग में लाते हुए अंतरिक्ष यान को सौर प्रणाली में दूर तक पहुचांने में सफल हो गए |
आज हमारे अंतरिक्ष यान सौर मंडल से आगे और तेजी से यात्रा कर रहे हैं इसका प्रमुख कारण है बृहस्पती का शक्तीशाली गुरुत्वाकर्षण |
(Jupiter in Hindi)
बृहस्पती पर अन्तरिक्ष यान
अब तक नौ (Nine) अंतरिक्ष यान द्वारा बृहस्पति का करिबसे अध्ययन किया गया है |
वर्तमान में नासा का जूनो (Juno) अंतरिक्ष यान इस विशाल ग्रह का अध्ययन कर रहा है |
जुलाई 2016 में बृहस्पति पर पहुंचे इस अंतरिक्ष यान ने, ग्रह के रहस्यमयी, बादल से घिरे वायुमंडल का अध्ययन किया |
‘पायनियर 10 (Pioneer 10)’ बृहस्पति पर जाने वाला पहला अंतरिक्ष यान था |
‘पायनियर 10’ के बाद अब तक पायनियर 11, वायेजर 1, वायेजर 2, कैसिनी, न्यू होराइजन्स और जूनो जैसे अन्तरिक्ष यान बृहस्पती का दौरा कर चुके है |
कैसिनी और न्यू होराइजन्स दोनों अंतरिक्ष यान ने बृहस्पति का अध्ययन किया है |
सौर मंडल के इस सबसे बडे ग्रह के बारे में अब तक बहुतसी जानकारियां हमें नही है | पर इस ग्रह पर होने वाले अध्ययन से भविष्य में इसके बारे में बहुत सी अद्भुत बाते हमें पता चलने की संभावना है |
(Jupiter in Hindi)