Tapioca in Hindi: टैपिओका (Tapioca) को अक्सर ‘गरीबों का भोजन’ कहा जाता है | जो लोग चावल को खरीद पाने में असमर्थ होते है वह अक्सर टैपिओका (Tapioca) का अपने भोजन में समावेश करते है |
टैपिओका (Tapioca) से बने साबूदाना को द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान शरणार्थियों का मुख्य भोजन माना जाता था जो आसानीसे उपलब्ध होता था और सस्ता भी था |
भारत में टैपिओका से बने साबूदाना का उपयोग करके लगभग हर एक घर में स्वादिष्ट व्यंजन बनाये जाते है | इसी कारणसे टैपिओका (Tapioca) यहाँ काफी मशहूर है | पूरे विश्व में इसका उपयोग किसी ना किसी रूप में अवश्य किया जाता है |
इस लेख में हम टैपिओका (Tapioca) के बारें में हर एक वह बात जानने की कोशिश करेंगे जो आम आदमी के मन में होती है, जो आपको जानना आवश्यक है |
जैसे की इस टैपिओका (Tapioca) से बनने वाले व्यंजनों का सेवन करने से सेहत को होने वाले फायदे और नुकसान | इसका इतिहास और महत्व, इस में पाए जाने वाले तत्वों की जानकारी और इससे बनाए जाने वाले व्यंजनों की पाक विधी और इस के बारें में कुछ रोचक जानकारियां |

Table of Contents
Tapioca in Hindi
कसावा (Cassava) नामक पौधे के जड़ों में जो कंद होता है, उस कंद के गुदे से जो तरल स्टार्च (starch) पदार्थ निकाला जाता है उसे टैपिओका (Tapioca) कहा जाता है |
टैपिओका का वैज्ञानिक नाम मनिहोट एस्कुलेंटा (Manihot esculenta) है जो कसावा पौधे की जड़ों से निकाला गया एक स्टार्च है | टैपिओका यूफोरबियासी(Euphorbiaceae) परिवार से संबंधित है |
भारत में टैपिओका (Tapioca) को हिंदी भाषा में टैपिओका, सैगो (Sago) या साबूदाना कहते है | मराठी भाषा में टैपिओका पर्ल (Tapioca Pearl) को साबूदाना कहा जाता है |कसावा को मलयालम भाषा में कप्पा (kappa) या माराचेनी (maracheeni) कहा जाता है|
इस टैपिओका में बहुत ही शुद्ध कार्ब्स होते हैं और इसमें बहुत कम प्रोटीन, फाइबर या पोषक तत्व होते हैं |
कसावा पौधा दक्षिण अमेरिका का मूल निवासी कंद है | यह लोकप्रिय है क्योंकि यह कम बारिश वाले प्रदेशों में उग सकता है और इसे कम रासायनिक खाद की जरूरत होती है |
कसावा पौधे को उगाना आसान है और अफ्रीका, एशिया और दक्षिण अमेरिका जैसे कई देशों में वहां के लोगों का यह एक मुख्य आहार है |
टैपिओका एक सूखा उत्पाद है और आमतौर पर इसे सफेद आटे, फ्लेक्स (flakes) या साबूदाने के रूप में बेचा जाता है |
गरीब और अमीर दोनों के घर के रसोई में टैपिओका (Tapioca) का इस्तेमाल होता है और इससे बने व्यंजन को सभी पसंद करते है |
प्रोटीन और पोषक तत्वों की कमी के कारण, टैपिओका पौष्टिक रूप से अनाज और आटे से कम पोषक माना जाता है | यह उर्जा तो प्रदान करता है, पर इसमें आवश्यक पोषक तत्व बहुत कम होते है |
केरल में टैपिओका का उपयोग मुख्य आहार के रूप में किया जाता है | यहां टैपिओका को औद्योगिक रूप से साबूदाना और स्टार्च में रूपांतरित किया जाता है |
कसावा पौधे की जानकारी
कसावा अनेक गुणों से संपन्न स्वादिष्ट भोजन, पोषक तत्व और ऊर्जा का एक महत्वपूर्ण स्रोत है, विशेष रूप से उष्णकटिबंधीय प्रदेश में |
आज, पूरे उष्ण कटिबंध में 80 से अधिक देश कसावा उगाते हैं, और यह दुनिया भर में 800 मिलियन से अधिक लोगों के आहार का एक प्राथमिक घटक है |
कसावा विटामिन सी, थायमिन, राइबोफ्लेविन और नियासिन का अच्छा स्रोत है | इसके पत्ते भी खाने योग्य भी होते हैं इनमें 25% तक प्रोटीन हो सकता है |

कसावा एक कंद वाला पौधा है | कसावा कंद यह कसावा झाड़ी का भूमिगत हिस्सा है जिससे टैपिओका (Tapioca) मिलता है | कसावा की जड़ों का आकार शकरकंद के समान होता है |
कसावा अन्य कंद फसल जैसे रतालू और शकरकंद के समान है | यह पौधा मुख्य रूप से इसके कंदों के लिए उगाया जाता है | लोग कसावा के पौधे की पत्तियों को भी खाते हैं |
दक्षिण अमेरिका में अमेज़न नदी के किनारे रहने वाले इंसानों ने सैकड़ों साल पहले कसावा को उगाया था और इसका सेवन भी किया था |
कसावा फसल की विशेषता यह है की ये कम प्रती के उपजाऊ जमीन में भी अच्छी तरह से उग आती है | कई बार तो कम प्रती के उपजाऊ जमीन को उपजाऊ बनाने में लिए कसावा फसल बोई जाती है |
यह पौधा बिना पानी के स्थिति में भी लम्बे समय तक ज़िंदा रह सकता है | सिर्फ रोपण करते समय इसे पाणी की जरूरत होती है |
कसावा बाढ़ की स्थिति को बर्दाश्त नहीं कर सकता है | इसके लिए लाल मिट्टी वाली खेती सबसे उपयुक्त है | रेतीली मिट्टी भी इसके लिए अच्छी साबित होती है क्योंकी यह नमी की मात्रा को बनाए रखते हुए पानी के निकास की अनुमति देती है |
कसावा का पौधा उष्ण कटिबंध में आम है और उष्णकटिबंधीय भूमि की गर्म परिस्थितियों के लिए अनुकूल है |
यह पौधा छह महीने के भीतर बढ़ता है और बाद में इसे काटा जाता है | कसावा पौधे की दो तरह की किस्म होती है, इसमेसे एक की फसल छह महीने में तो दुसरी एक साल में उग आती है |
कसावा के पौधे में या तो लाल या हरे रंग की शाखाएँ होती हैं जिन पर नीले रंग की धुरी (spindles) होती है |
हरे-शाखा वाले कसावा पौधे में नैसर्गीक रूप से एक लिनामारिन-साइनोजेनिक ग्लाइकोसाइड (linamarin, a cyanogenic glycoside) होता है जिसे प्रक्रिया करके निकालना पड़ता है अन्यथा वह जहरीले साइनाइड में परिवर्तित हो जाता है |
दक्षिण अमेरिका में ब्राजील, एशिया में थाईलैंड और अफ्रीका में नाइजीरिया दुनिया में कसावा के सबसे बड़े उत्पादक हैं | वर्तमान में थाईलैंड का दुनिया भर के कसावा निर्यात में लगभग 60 प्रतिशत का हिस्सा है |
कसावा से Tapioca बनाने की विधि
भले ही कसावा का उत्पादन दुनियाभर के देशों में अलग अलग हो पर इसके जड़ों के कंद से टैपिओका बनने के विधी विविध देशों में एक सामान ही है |
कसावा पौधे के जड़ो के कंद को पिसने के बाद इसके बनाये गए गुदे से जो स्टार्चयुक्त तरल पदार्थ निकलता है उसे टैपिओका (Tapioca) कहते है |
इस स्टार्चयुक्त तरल पदार्थ को बाष्पित होने के लिए रख दिया जाता है | जब इसका सारा पानी बाष्पित हो जाता है तो पीछे सफ़ेद रंग का पाउडर रह जाता है |
बाद में इस सफ़ेद पाउडर को एकत्रित करके उसे गोल आकार (साबूदाना), flakes (गुच्छे) के रूप में या पाउडर के रूप में ही बेचा जाता है |
टैपिओका (Tapioca) पाउडर के बनाये गए गोल आकार के गोलों (साबूदाना) को दुनिया भर में सबसे ज्यादा पसंद किया जाता है | इनको अक्सर बबल टी, पुडिंग, डेसर्ट के साथ या खाना पकाते समय खाने को गाढ़ा करने के लिए उपयोग में लाया जाता हैं |
टैपिओका के आटे को लोग अक्सर कसावा का आटा मानते है जो की गलत है | जब की टैपिओका एक स्टार्चयुक्त तरल पदार्थ है जो कसावा की जड़ से निकाला जाता है | इस स्टार्च से बनती है टैपिओका पाउडर |
टैपिओका पाउडर के आटे का उपयोग ब्रेड रेसिपी में किया जाता है, हालाँकि इसे अक्सर अन्य आटे के साथ जोड़ा जाता है |
विकासशील देशों में इसे ब्रेड बनाने के लिए प्रयोग में लाया जाता है | विभिन्न टॉपिंग के साथ, इसे नाश्ते, रात के खाने या मिठाई के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है।
कसावा/टैपिओका के उपयोग
दुनिया के विविध देशों में लोग कसावा को विभिन्न तरीकों से बनाते और खाते हैं, जिसमें पकाना और उबालना सबसे आम तरीका है | कुछ जगहों पर लोग कसावा को इस्तेमाल करने से पहले उसे ferment (खमीर) कर लेते हैं |
अमेरिका के कई प्रान्तों में लोग कसावा को पीसकर उससे टैपिओका बनाते हैं, जिसे वे हलवा (Pudding) के रूप में खाते हैं या व्यंजनों को गाढ़ा करने वाले एजेंट के रूप में उपयोग करते हैं |
कसावा को स्टार्च, आटा, चिप्स, इथेनॉल, ग्लूकोज सिरप और ब्रेड जैसे कई उत्पादों में संसाधित किया जा सकता है | इन उत्पादों की स्थानीय स्तर पर उच्च मांग तो होती ही है और इन उत्पादों को निर्यात भी किया जा सकता हैं |
टैपिओका (Tapioca) पाउडर का उपयोग सूप, सॉस और ग्रेवी को गाढ़ा करने के लिए किया जाता है |
कपड़ों को स्टार्च करने के लिए भी टैपिओका (Tapioca) पाउडर का इस्तेमाल किया जाता है |
कसावा/टैपिओका के स्वास्थ्य लाभ
कसावा एक कैलोरी से भरपूर सब्जी है जिसमें भरपूर मात्रा में कार्बोहाइड्रेट और प्रमुख विटामिन और खनिज होते हैं जो मानवी शरीर के स्वास्थ के लिए अच्छे होते है |
कसावा/टैपिओका शरीर पर शीतल प्रभाव पड़ता है क्योंकी इसकी तासीर ठंडी होती है | जिन लोगों को अत्यधिक पित्त का प्रकोप होता है उनके पित्त को शमन करने का काम टैपिओका (Tapioca) करता है |
भारतीय आयुर्वेद के अनुसार, साबूदाना और चावल का शरीर पर शीतल प्रभाव पड़ता है, इसलिए पित्त अधिक होने पर साबूदाना का घोल दिया जाता है |
बीमार होने पर बीमार व्यक्ती को टैपिओका से बना साबूदाना देना बहुत अच्छा होता है क्योंकि यह पचने में आसान होता है और शरीर को जल्दी ऊर्जा देता है | आमतौर पर साबूदाना खीर के रूप में यह बीमार व्यक्ति को दिया जाता है |
टैपिओका/कसावा में नमक (Sodium) का प्रमाण बहुत ही कम होता है | 100 ग्राम में सिर्फ 14 मिलीग्राम नमक होता है | शरीर को हर रोज नमक की आवश्यकता सिर्फ 2,300 मिलीग्राम की होती है |
टैपिओका/कसावा में क़ुदरती रूप से नमक की मात्रा बहुत कम होती है इसलिए इसका आहार में समावेश करना अच्छा होता है |
अती नमक (Sodium) का सेवन शरीर के लिए घातक होता है | इसके अति सेवन से उच्च रक्तचाप, हृदय रोग और लकवे जैसी बीमारी हो सकती है |
टैपिओका से बना साबूदाना कैल्शियम का एक अच्छा स्रोत है | एक कप साबूदाना में 30.4 मिलीग्राम कैल्शियम होता है जो शरीर के कैल्शियम को कमी को पूरा करता है |
लोग हर दिन त्वचा, पसीने, मूत्र और मल के माध्यम से कैल्शियम खो देते हैं | आहार के बिना शरीर खोए हुए कैल्शियम की पूर्ती कर नहीं सकता है | टैपिओका/कसावा का सेवन शरीर के कैल्शियम की पूर्ती करने में सहायक होता है |
मजबूत हड्डियों और दांतों के लिए कैल्शियम महत्वपूर्ण होता है |
कैल्शियम शरीर के अन्य कार्यों में भी सहायक होता है |जैसे-
- रक्त वाहिकाओं और मांसपेशियों में संकुचन और फैलाव
- खून का जमना- जख्म से बहने वाले खून को जमा देता है |
जिन व्यक्तियोंका शरीर कृष और कमजोर होता है उनके लिए टैपिओका शरीर का वजन बढाने का काम करता है |
जिन लोगों को जल्दी वजन बढ़ाना है उन्हें अपने आहार में टैपिओका को शामिल करने से फायदा होता है | एक कप टैपिओका मोती (साबूदाना) में 544 कैलोरी और 135 ग्राम कार्बोहाइड्रेट होता है।
एक दिन में दो कटोरी टैपिओका हलवा खाने से व्यक्ति का वजन बढ़ने की संभावना रहती है इसलिए वजन बढ़ने की इच्छा रखने वाले लोग अपने व्यंजनों में टैपिओका भी जोड़ सकते हैं |
टैपिओका में कोलेस्ट्रॉल (cholesterol) लगभग न के मात्रा में होता है इसलिए इसके सेवन से सेहत पर बुरा असर भी नहीं होता है |
टैपिओका में प्रतिरोधी स्टार्च (Resistant starch) नैसर्गिक रूप से होता है | यह स्टार्च पाचन तंत्र में फाइबर की तरह काम करता है जिससे पाचन-शक्ति बढ़ती है और आतों की सेहत सुधरती है |
प्रतिरोधी स्टार्च (Resistant starch) यह आंत (gut) में मानवी शरीर के लिए अनुकूल बैक्टीरिया को बढाती है, जिससे सूजन और मानवी शरीर को हानिकारक बैक्टीरिया की संख्या कम हो जाती है |
यह भोजन के बाद रक्त शर्करा (blood sugar level) के स्तर को कम करता है, ग्लूकोज और इंसुलिन चयापचय (Metabolism) में सुधार कर सकता है |
टैपिओका आयरन का एक अच्छा स्रोत है | यह शरीर के लोह (Iron) खनीज की कुछ हद तक पूर्ती करता है | एक कप साबूदाना में लगभग 2.4 मिलीग्राम लोह होता है | मानवी शरीर को प्रतिदिन 7–18 मिलीग्राम लोह (Iron) की जरूरत होती है |
लोह (Iron) मानवी शरीर के रक्त में एक आवश्यक घटक है | यह शरीर के सभी भागों में ऑक्सीजन पहुंचाने का कार्य करता है | जब मानवी शरीर में लोह की कमतरता होती है तो अनेमिया नामक बीमारी हो जाती है |
बहुत से लोगोंको गेहूं, अनाज और ग्लूटेन से एलर्जी होती हैं इसलिए वो गेहूं और अनाज युक्त आहार सेवन नहीं कर पाते है | ऐसे लोग टैपिओका (Tapioca) का सेवन कर सकते है क्योंकी यह नैसर्गीक रूप से अनाज और ग्लूटेन से मुक्त होता है |
बेकिंग और खाना पकाने में टैपिओका (Tapioca) का आटे के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है | सूप या सॉस को गाढ़ा करने के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जा सकता है।पोषक तत्वों की संख्या बढ़ाने के लिए आप इसमें बादाम का आटा या नारियल का आटा मिला सकते हैं |
पारंपरिक रूप से देखा जाये तो टैपिओका/कसावा परिपूर्ण स्वास्थ्यप्रद भोजन नहीं है पर यह मानव शरीर के कई महत्वपूर्ण पोषक तत्व पुरे करने में मदद कर सकता है |
कसावा/टैपिओका जहरिला होता है

कसावा का पौधा जिसके जड़ों के स्टार्च से टैपिओका बनता है, वह कसावा का पौधा जहरीला होता है |
इसके पत्तों से लेकर जड़ों तक के इसके सारे हिस्से में विषैला पदार्थ होता है |
इसलिए कभी भी कच्चे रूप में इसके किसी भी हिस्से का सेवन नहीं करना चाहिए हालां की कुछ प्रक्रिया करने के बाद यह खाने योग्य हो जाता है |
कसावा/टैपिओका से बनने वाले व्यंजन
दुनिया भर में लोग कसावा/टैपिओका का उपयोग करके जो खाद्य पदार्थ बनाते हैं उनमें शामिल हैं :
बबल टी, जिसे पर्ल मिल्क टी (Pearl Milk Tea) के नाम से भी जाना जाता है, ताइवान का एक लोकप्रिय पेय है जिसमें टैपिओका पर्ल मतलब साबूदाने का इस्तेमाल होता है | यह पेय भारत में भी काफी लोकप्रिय हो गया है।
इस पेय में दूध, फल और चबाने वाले टैपिओका मोती (साबुदाना) का उपयोग होता है |
पश्चिमी दुनिया में टैपिओका का सबसे लोकप्रिय उपयोग दूध और चीनी के साथ दूध आधारित मिठाई का हलवा है | उष्ण कटिबंध प्रदेशों में , इसे फल या फलों के रस के साथ हलवा के रूप में तैयार किया जाता है |
भारत में साबूदाना (Tapioca Pearl) के विविध स्वादिष्ट व्यंजन बनाये जाते है | इनमे शामिल है-
साबूदाना खिचडी: भारत के हर एक घर में यह व्यंजन बनाया जाता है | त्योहार के दौरान, भारत में लोग साबूदाना खिचड़ी, साबूदाना खीर जैसे व्यंजन बनाते हैं | उपवास के दिनों में साबूदाना खिचड़ी, साबूदाना खीर जैसे व्यंजन बनाये जाते है जिससे शरीर को आवश्यक ऊर्जा मिलती है |
साबूदाना वड़े: साबूदाना भिगोकर, इसमें आवश्यक मसाले मिलाकर इसकी टिक्की बनाई जाती है बाद में इसे तेल में तला जाता है |
साबूदाना पापड़:
साबूदाने को उबालकर, उसके घोल को धूप में सुखाकर साबूदाना पापड़ बनाया जाता है | इसे तेल में तलके खाया जाता है |
टैपिओका से दुनिया भर के देशों में विविध पदार्थ बनाये जाते है | जैसे-
- French fries- जिस तरह आलू के french fries बनाये जाते है उसी तरह कसावा के कंद से भी बनाये जाते है |
- Mashed cassava- जिस तरह आलू को उबालके, मसलके उसमें स्वाद के लिए मसाले मिलाये जाते है वैसे ही पद्धतीसे कसावा को उबालके, मसल के स्वाद अनुसार मसाले मिला कर Mashed cassava व्यंजन बनाया जाता है |
- Cassava chips- कच्चे कसावा को छिलके, अच्छी तरह धोकर १५ मिनट के लिए पानी में भिगोकर रख दें। वेफर के आकार का काटकर बादमे उसे तेल में तला जाता है और कसावा वेफर तयार हो जाते है |
- Cassava bread soaked in coconut milk- टैपिओका पाउडर से बनाये गए ब्रेड को नारियल के दूध में भिगोकर उसमे अन्य सामग्री मिलाकर ये व्यंजन बनाया जाता है |
- Cassava cake- टैपिओका पाउडर का उपयोग करके केक भी बनाया जाता है जिसे ‘कसावा केक’ कहते है |
- Tapioca Pearl- भारत में इसे साबूदाना कहते है | इसको आहार के रूप में लगभग सभी लोग उपयोग में लाते है |
भारत का लोकप्रिय व्यंजन साबूदाना
भारत का लोकप्रिय व्यंजन साबूदाना भी कसावा कंद से निकाले गए तरल पदार्थ (starch) मतलब टैपिओका (Tapioca) से बनाया जाता है |

भारत का 90 प्रतिशत साबूदाना तमिलनाडु के सेलम क्षेत्र (सेलम (Salem) और आसपास के आठ जिलों) में उत्पादित होता है | क्योंकि इस क्षेत्र में टैपिओका की सबसे अधिक उपज होती है|
साबूदाना को अंग्रेजी भाषा में टैपिओका पर्ल (Tapioca Pearl) मतलब सफ़ेद मोती कहा जाता है | साबूदाना दिखने में भी सफ़ेद मोती की तरह ही होता है |
साबूदाने में कोई खनिज या विटामिन नहीं होता है और इसमें बहुत कम मात्रा में कैल्शियम, आयरन और फाइबर होता है, यह कार्बोहाइड्रेट से भरपूर होता है |
साबूदाने में 11% पानी और 89% कार्बोहाइड्रेट होते हैं, कोई प्रोटीन या वसा (fat) नहीं होता है |
एक औंस (28 ग्राम) साबूदाने में 100 कैलोरी (Calories) होती है |
साबूदाना स्टार्च से भरपूर होता है, यह कार्बोहाइड्रेट का एक शुद्ध स्रोत है इसलिए उपवास के दौरान शरीर को जरूरी ऊर्जा तुरंत दे देता है | यही कारण है कि भारतीय त्योहारों में इसका सेवन ज्यादातर नाश्ते में या फिर धार्मिक त्योहारों के दौरान व्रत तोड़ने के लिए किया जाता है |
साबूदाना मोती आमतौर पर कच्चे होने पर अपारदर्शी होते हैं, लेकिन उबलते पानी में पकाए जाने पर पारभासी हो जाते हैं |
साबूदाने का आकार आमतौर पर गोल ही होता है | यह आकार लगभग 1 मिमी से 8 मिमी व्यास के बीच होता है, जिसमें 2-3 मिमी सबसे आम आकार होता है |
कसावा/टैपिओका से होने वाले नुकसान
कसावा में केवल थोड़ी मात्रा में प्रोटीन और वसा (Fats) होता है। नतीजतन, जो लोग कसावा को प्राथमिक आहार के रूप में उपयोग करते हैं उन्हें कुपोषण से बचने के लिए अतिरिक्त प्रोटीन की खुराक लेने की आवश्यकता हो सकती है |
टैपिओका मधुमेह रोगियों के लिए उपयुक्त आहार नहीं है क्यों की इसमें बहुत सारा कार्बोहायड्रेट होता है | शरीर कार्बोहाइड्रेट को ग्लूकोज (Sugar) में बदल देता है, जिससे कार्बोहाइड्रेट खाने से रक्त शर्करा (Sugar Level) का स्तर बढ़ जाता है | इसलिए मधुमेह रोगियोंको इसका सेवन करने से बचना चाहिए |
लेटेक्स उत्पादों से एलर्जी वाले लोगों को क्रॉस-रिएक्टिविटी के कारण कसावा से एलर्जी का अनुभव हो सकता है | आपका शरीर लेटेक्स एलर्जी के लिए कसावा में गलती करता है, जिससे एलर्जी की प्रतिक्रिया होती है इसे लेटेक्स-फ्रूट सिंड्रोम कहा जाता है |
लेटेक्स एलर्जी उन लोगों में सबसे आम है जो जैसे लेटेक्स उत्पादों के नियमित संपर्क में होते हैं, जैसे की रबर के दस्ताने, पेंट, गोंद इत्यादी |
जिन लोगों के आहार का एक बड़ा हिस्सा कसावा और टैपिओका-आधारित उत्पादों पर आधारित होता हैं, उनमें अंततः प्रोटीन और पोषक तत्वों की कमी हो सकती है |
पोषक तत्वों की कमी के कारण वे कुपोषण, रिकेट्स और गण्डमाला बीमारी के शिकार हो सकते है |
कसावा को कभी भी कच्चा नहीं खाना चाहिए, क्योंकि इसमें प्राकृतिक रूप से साइनाइड होता हैं, जो खाने के लिए जहरीला होता हैं | इसलिए कसावा का सेवन करने से पहले इसको अच्छी तरह से भिगोया जाता है और बाद में पकाया जाता है, जिससे यह खाने योग्य हो जाता है |
कच्चा या गलत तरीके से पकाया गया कसावा खाने के गंभीर दुष्परिणाम हो सकते है |
जिन जगहों पर कसावा प्रमुख आहार है वहापर इसे योग्य तरीके से पकाकर न खाने के परिणाम दीखाई देते है | जैसे की:
- बच्चों के पैर को लकवा मार जाना
- शरीर में आयोडीन का स्तर कम हो जाना
- गण्डमाला (Goiter) बीमारी से ग्रस्त हो जाना
कच्चा या गलत तरीके से पकाया गया कसावा खाने से वृद्ध और वयस्कोंमें ट्रॉपिकल एटैक्सिक न्यूरोपैथी (tropical ataxic neuropathy) नामक स्थिति उत्पन्न हो जाती है| यह एक ऐसी स्थिति है जिसमे-
- दृष्टि कमजोर हो जाती है |
- शरीर में कमजोरी आती है |
- हाथों की संवेदनाएं चली जाती है |
- चलने में समस्या होती है |
- पैरों पर कुछ है ऐसे अनुभूति होती रहती है |
कसावा के कंद में प्राकृतिक रूप से जहरीला साइनाइड तो होता ही है उसके अलावा ये पर्यावरण में घुले हुए प्रदूषित घटकों को भी शोषित करने में सक्षम होता है | ऐसे प्रदूषित कसावा का सेवन करने से मनुष्य बीमार हो सकता है |
जो कसावा के पौधे पर्यावरण में घूले हुए प्रदूषित घटकों का ग्रहण कर लेते है, ऐसे कसावा का मनुष्य द्वारा सेवन करने पर यह प्रदूषित घटक मनुष्य के शरीर में शामिल हो जाते हैं | इन प्रदूषित घटकों में शामिल होते है-
- धातु तत्व
- कीटनाशक
- Herbicides-अनचाहे पौधों का नाशक रसायन
यह सारे प्रदूषित घटक मनुष्य को गंभीर रूप से बीमार कर सकते है |
कसावा कंद का स्टार्च मतलब टैपिओका से बनाये गए सारे उत्पाद, जैसे टैपिओका आटा और साबूदाना इत्यादी सब मनुष्य के खाने के लिए सुरक्षित होते है, सिर्फ कच्चे कसावा कंद का सेवन करते समय सावधानी बरतनी जरूरी होती है |
कसावा कंद पर जब ठीक से प्रक्रिया (Process) कि जाती है, तो टैपिओका स्वास्थ्यपर कोइ भी नकारात्मक प्रभाव नहीं होता हैं | अधिकांश नकारात्मक स्वास्थ्य प्रभाव खराब प्रक्रिया किये गए कसावा जड़ के सेवन से आते हैं |
कसावा के प्रकार
कसावा दो प्रकार के होते है | दोनों प्रकार के कसावा का उत्पादन लिया जाता है और इनको खाया जाता है |
- मीठे स्वाद वाला कसावा
- कडवे स्वाद वाला कसावा
मीठे स्वाद वाला कसावा: मीठे स्वाद वाले कसावा में प्राकृतिक रूप से कडवे स्वाद वाले कसावा के मुकाबले कम cyanogenic glucoside होता है जिसके वजहसे यह स्वाद में मीठा होता है |
इसकी जड़ों का आकार कडवे कसावा के मुकाबले कम बड़ा होता है इसलिए इसका उत्पादन प्रती एकर मीठे कसावा से कम निकलता है | अमेरिका में आमतौर पर सिर्फ मीठे कसावा का उत्पादन होता है |
कडवे स्वाद वाला कसावा: इसका आकार मीठे कसावा से ज्यादा बड़ा होता है और इसमें cyanogenic glucoside का प्रमाण भी ज्यादा होता है इसलिए यह स्वाद में कडवा होता है | बड़े आकार की वजहसे इसका उत्पादन प्रती एकर ज्यादा निकलता है |
दोनों कसावा जहरीले होते है इसलिए इनको कच्चा नहीं खाया जाता है |
कसावा कंद का पोषण मूल्य
कौनसे विटामिन, खनीज और पोषक तत्व कसावा कंद में होते है उसकी जानकारी आपके लिए यहापर दी गयी है इसे जरूर पढ़िए |
प्रति 100 ग्राम कच्चे कसावा में पोषण मूल्य की मात्रा
विटामिन | मात्रा |
फोलिक अम्ल (B9) | 27 μg |
नियासिन (B3) | 0.854 mg |
रिबोफ्लेविन (B2) | 0.048 mg |
थियामिन (B1) | 0.087 mg |
विटामिन B6 | 0.088 mg |
विटामिन C | 20.6 mg |
खनिज पदार्थ | मात्रा |
कैल्शियम | 16 mg |
लोह | 0.27 mg |
मैगनीशियम | 21 mg |
फॉस्फोरस | 27 mg |
पोटैशियम | 271 mg |
सोडिअम | 14 mg |
जस्त | 0.34 mg |
ऊर्जा | 160 kcal |
कार्बोहाइड्रेट | 38.1 g |
शर्करा | 1.7 g |
फाइबर आहार | 1.8 g |
वसा | 0.3 g |
प्रोटीन | 1.4 g |
μg=micrograms, mg=milligrams, g=gram
कसावा/टैपिओका के अन्य उपयोग
खाने के अलावा कसावा के अन्य बहुत से इस्तेमाल हैं जिसकी बहुतसे लोगों को जानकारी नहीं है | कसावा एक बहुउपयोगी पौधा है, इसके पत्तो से लेकर कंद तक सब काम में आते है | जैसे की-
- जानवरों को खिलाना
- इसका दवाई बनाने में भी इस्तेमाल किया जाता है |
- इसका प्लाइवुड, कपड़े, कागज बनाने में इस्तेमाल क्या जाता है |
- ईंधन के लिए बायोएथेनॉल बनाने के लिए भी यह इस्तेमाल होता है |
bhai mere yah garibon kaa bhojan kaise hai? rice and flour kaa price 20-25 rs. kilo hai jabki sabudana is samay 80 rs kilo mil raha hai. jara samjhaana hamko. ki yah kaise garibon kaa khanaa hai.